अक्सर मैंने जोरदार ज़नानी आवाज़ों के पीछे का
दर्द देखा हैं।
लोग कहतें है कि आज कल की औरतें तलाक को लेके बड़ी सामान्य है।
मैंने कुछ पुराने सालों पहले की औरतों का दरवाज़े के पीछे का दर्द देखा हैं।
मिलती है जो हँस के अक्सर मोहल्ले में सबसे,
मैंने उसकी आँखों में अकेलेपन का दर्द देखा है।
कहते है जिसे सबसे तेज़ औरत इलाके की
मैंने उसे अकेले में बेहद कमजोर देखा है।
तुमने देखा या सुना होगा बहरूपिया,मैंने औरत से बड़ा बहुरूपिया न देखा।
भरे आंख में आँसू, कपड़ो से ढके जख़्मी जिस्म को छुपाते,भरी महफ़िल में मेहमानों के सामने मुस्कुराते।
मैंने ऐसी अबला को देखा है,मैंने ऐसी अबला को देखा है।
सौ बात सौ जुल्म सहे है अपनी औलाद के लिए,
मैंने अक्सर कमरे में बंद सिसकती माँ को देखा है।
खुद को उलझा कर जमाने की जिम्मेदारी में वो खुद को भुला देती है कँही,
ज़नाब ये औरत है चंद प्यार भरे बोल के लिए खुद को लूटा देती है कँही।