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नम्रता, सरलता, साधुता, सहिष्णुता सहिष्णुता का अभ्यास करो। अपने उत्तरदायित्व को समझो। किसी के दोषों को देखने और उन पर टीका- टिप्पणी करने के पहले अपने बड़े- बड़े दोषों का अन्वेषण करो। यदि अपनी वाणी कानियत्रंण नहीं कर सकते तो उसे दूसरों के प्रतिकूल नहीं बल्कि अपने प्रतिकूल उपदेश करने दो। सबसे पहले अ