.
शोभा डे नाम की एक प्रख्यात लेखिका की टिप्पणी - "मांस तो मांस ही होता है, चाहे गाय का हो, या बकरे का, या किसी अन्य जानवर का......।
फिर, हिन्दू लोग जानवरों के प्रति अलग-अलग व्यवहार कर के क्यों ढोंग करते है कि बकरा काटो, पर, गाय मत काटो ।
ये उनकी मूर्खता है कि नहीं......?"
.
जवाब -1.
बिल्कुल ठीक कहा शोभा जी आप ने । मर्द तो मर्द ही होता है, चाहे वो भाई हो, या पति, या बाप, या बेटा । फिर, तीनो के साथ आप अलग-अलग व्यवहार क्यों करती हैं ?
क्या सन्तान पैदा करने, या यौन-सुख पाने के लिए पति जरुरी है ? भाई, बेटा, या बाप के साथ भी वही व्यवहार किया जा सकता है, जो आप अपने पति के साथ करती हैं ।
ये आप की मूर्खता और आप का ढोंग है कि नहीं.....?
जवाब-2.
घर में आप अपने बच्चों और अपने पति को खाने-नाश्ते में दूध तो देती ही होंगी, या चाय-कॉफी तो बनाती ही होंगी...!
जाहिर है, वो दूध गाय, या भैंस का ही होगा ।
तो, क्या आप कुतिया का भी दूध उनको पिला सकती हैं, या कुतिया के दूध की भी चाय-कॉफी बना सकती हैं..?
तो, दूध तो दूध, चाहे वो किसी का भी हो....!!
ये आप की मूर्खता और आप का ढोंग है कि नहीं......?
.
प्रश्न मांस का नहीं, आस्था और भावना का है । जिस तरह, भाई, पति, बेटा, बेटी, बहन, माँ, आदि रिश्तों के पुरुषों-महिलाओं से हमारे सम्बन्ध मात्र एक पुरुष, या मात्र एक स्त्री होने के आधार पर न चल कर भावना और आस्था के आधार पर संचालित होते हैं, उसी प्रकार गाय, बकरे, या अन्य पशु भी हमारी भावना के आधार पर व्यवहृत होते हैं ।
जवाब - 3.
एक अंग्रेज ने स्वामी विवेकानन्द से पूछा - सब से अच्छा दूध किस जानवर का होता है ?
स्वामी विवेकानंद - भैँस का ।
अंग्रेज - परन्तु आप भारतीय तो गाय को ही सर्वश्रेष्ठ मानते हैं न.....?
स्वामी विवेकानन्द कहा - आप ने "दूध" के बारे मे पुछा है जनाब, "अमृत" के बारे में नहीं, और दूसरी बात, आप ने जानवर के बारे मेँ पूछा था ।
गाय तो हमारी माता है, कोई जानवर नहीं ।
इसी विषय में एक सवाल :-
"Save tiger" कहने वाले समाज सेवी होते हैं और
"Save Dogs" कहने वाले पशु प्रेमी होते हैं ।
तब,
"Save Cow" कहने वाले कट्टरपन्थी कैसे हो गये.....?
इसका जवाब, अगर किसी के पास हो, तो बताने की ज़रूर कृपा करे ।
(Forwarding as received)