आप जानते ही हैं कि हिन्दुओं के ३३करोड़ देवी देवता हैं। साल का कोई सा दिन ऐसा नहीं जाता होगा जिस दिन व्रत या त्यौहार न हो। एक ही देवता की आराधना करनी चाहिए। जो एक प्रिय देवता होता है वही इष्टदेव होता है। एक देवता की आराधना उत्तम है पर अन्य देवताओं से परान्मुख नहीं होना चाहिए, अपितु उनके प्रति श्रद्धा रखते हुए प्रणाम अवश्य करना चाहिए। विशिष्ट पूजा अर्चना अपने इष्टदेव की ही करनी चाहिए। ईष्ट आराधना के अतिरिक्त यज्ञ, दान, तप, व्रत आदि कर्म किसी भी परिस्थिति में नहीं त्यागने चाहिएं क्योंकि ये मन को पवित्र करते हैं, कष्टों से बचाते हैं एवं पूर्वकृत पापों के प्रभाव से बचाते हैं।
इष्ट देवता कैसे चुनें ?
इष्ट देवता चुनने में निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए-
- महर्षि जैमिनी ने इष्टदेव के चयन में आत्मकारक ग्रह को मान्यता प्रदान की है। कुण्डली में लग्न, लग्नेश, लग्न नक्षत्र के स्वामी एवं ग्रह जो सबसे अधिक अंश में है, चाहे वह किसी भी राशि में हो आत्मकारक ग्रह होता है।
- आत्मकारक ग्रह के अनुसार इष्टदेव की उपासना की जानी चाहिए।
- अन्य मतानुसार पंचम भाव, पंचमेश तथा पंचम भाव में स्थित बली ग्रहों के अनुसार इष्टदेव की आराधना करनी चाहिए।
- त्रिकोणेश जो सर्वाधिक बली हो उसके अनुसार भी इष्टदेव की उपासना करनी चाहिए।
- कुण्डली का सर्वाधिक बली व शुभ ग्रह के अनुसार भी इष्टदेव का चयन करना चाहिए। यहां एक कुंडली दे रहे हैं जिसमें आत्म कारक ग्रह बुध है, पंचमेश शनि है, तीन त्रिकोणेश बुध, शनि व शुक्र में षडबलानुसार शुक्र बली है जबकि स्थिति के अनुसार बुध बली है। दो मतानुसार बुध बली है अतः इस ग्रह के अनुसार इष्टदेव चुनना चाहिए।
देवताओं में सूर्य से राम व विष्णु, चन्द्र से शिव या पार्वती, कृष्ण, मंगल से कार्तिकेय, नृसिंह, हनुमान या स्कंद, बुध से दुर्गा या भगवान बुद्ध, गुरु से ब्रह्मा या वामन, शुक्र से लक्ष्मी या परशुराम, शनि से भैरव, यम या कूर्म, राहु से शेषनाग या सरस्वती, केतु से मत्स्य या गणेश की उपासना करनी चाहिए।
उदाहरण देकर समझाते हैं। यहां एक कुंडली अंकित कर रहे हैं-
उक्त जातक को दुर्गा की उपासना करनी चाहिए। इस कुंडली में नवम भाव से चन्द्र व केतु का संबंध है एवं चन्द्र उच्च का है। जातक का ध्यान शिव, पार्वती व गणेश के प्रति भी हो सकता है। जातक को शिव, पार्वती, गणेश व दुर्गा जी में से कोई भी एक इष्टदेव बना लेना चाहिए।
इस प्रकार आप अपना इष्टदेव आसानी से चुन सकते है। आप अपना एवं मित्रों का इष्टदेव चुनने में भी सहयोग दें।