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ज्‍योतिष्‍ा से जीवन संवारना चाहिए

25 मई 2016

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          ज्‍योतिष का नाम आपने सुना है, किन्‍तु आपको पता नहीं है कि इसका कैसे उपयोग किया जाए। जब कोई विशेष परेशानी या अशुभ घटना हो जाती है तो आप ज्‍योतिषियों के पास चक्‍कर लगाने लगते हैं। कई बार अच्छे अनुभव होते हैं और बहुत लाभ होता है तो कई बार कड़वे अनुभव होते हैं और धन का अलग नुकसान हो जाता है। क्षेत्र कोई भी हो हर क्षेत्र में अच्‍छे-बुरे लोग होते हैं, ज्‍योतिष में भी हैं। हमारा यह विचार ज्‍योतिषियों की महत्ता कम करना नहीं है। किसी भी व्‍यवसाय में दक्ष्‍ा व्‍यक्ति की  समानता कभी कोई नहीं कर सकता है।

          घर में किसी को छोटी-मोटी चोट लग जाती है तो खुद पट्टी कर देते हैं, डॉक्‍टर के पास नहीं दौड़ते हैं। डॉक्‍टर के पास तभी जाते हैं जब समस्‍या खुद नहीं समझ आती है। इसी प्रकार छोटी-छोटी परेशानियों के लिए ज्‍योतिषयों के चक्‍कर नहीं लगाने चाहिएं।

          गणित पक्ष तो आजकल कम्‍प्‍यूटर कर देता है। फलित पक्ष किसी अनुभवी से या अच्‍छी पुस्‍तकों के अध्‍ययन से सीख सकते हैं। तब आप छोटी-छोटी बातों के लिए पंडितों के चक्‍कर नहीं काटेंगे और व्‍यर्थ में धोखा नहीं खाएंगे।

          जिन्‍हें सत्‍य प्रिय है और मानसिक श्रम करने का धैर्य, लगन और स्‍वाध्‍याय अच्‍छा लगता है, वे कुछ माह में इसके मूल‍ सिद्धान्‍तों को सीख सकते हैं। शेष परिचितों की अधिकाधिक कुण्‍डलियां देखेंगे तो धीरे-धीरे फलित करने की समझ आने लगेगी।

          यह जान लें कि कुण्‍डलियों के विश्‍लेषण से अनुभव और ज्ञान के आधार पर भविष्‍य का पूर्वानुमान कर सकते हैं, पूर्वानुमान होने पर परेशानी हो तो उसका सामना करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं।

          यदि लगन नहीं है तो अच्‍छे ज्‍योतिषी से सलाह लें और उसके निर्देशों का अनुपालन करें। अब प्रश्‍न उठता है कि अच्‍छा ज्‍योतिषी कौन जो देखने में शान्‍त हो, दूसरों के प्रति सद्भाव रखे, धार्मिक विचारों का और आस्तिक हो, जीवन के सार को समझता हो, ज्‍योतिष विषय का अच्‍छा ज्ञाता हो। चतुर व दुष्‍ट प्रवृत्ति का न हो, ऐसे बुहत से लोग है जो निज स्‍वार्थ सिद्धि के लिए ज्‍योतिष की दुकानदारी चलाते हैं और उनका मुख्‍य उद्देश्‍य दूसरों को ठग कर अपना उल्‍लू सीधा करना है। यह जान लें कि शुद्ध, विचारवान और सुभावना रखने वाला, मानवता एवं मुनष्‍यता की समझ रखने वाला, आस्तिक एवं जीवन के मर्म को पहचानने वाला ही अच्‍छा भविष्‍यवक्‍ता हो सकता है।

          ज्‍योतिष उनके लिए नहीं हैं जो सत्‍य से भयभीत हो जाते हैं और जल्‍दी व्‍यर्थ के भय से तनाव में आ जाते हैं। आप कार चलाना इस भय से तो नहीं छोड़ सकते हैं कि दुर्घटना हो जाएगी। अच्‍छा व बुरा एक सिक्‍के के दो पहलू हैं। जीवन है तो कठिनाईयां भी होंगी, दिमाग है तो चिन्‍ताएं भी स्‍वाभाविक हैं, बुद्धि है तो विकार भी हो सकता है।

          ज्‍योतिष भविष्‍य में होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान के अलावा शुभाशुभ समय का भान कराता है। यह ज्ञान हो जाए तो आप उचित निष्‍कर्ष या निर्णय ले सकते हैं या अशुभ समय है तो सावधानी रखें। कैरियर या शिक्षा काल में शिक्षा का क्षेत्र अपनी सम्‍भावनाओं एवं रूचि के अनुरूप चयन करके सही दिशा में प्रयास करके उच्‍च शिखर में पहुंचने का मार्ग प्रशस्‍त कर सकते हैं।

    वेदों के नेत्र ज्‍योतिष के ज्ञान से जीवन को संवारना चाहिए। शुभ समय में सही दिशा में प्रयास करने से अल्‍प श्रम से सफलता निश्‍चित और अधिक मिलती है।

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ज्‍योतिष्‍ा से जीवन संवारना चाहिए

25 मई 2016
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          ज्‍योतिष का नाम आपने सुना है, किन्‍तु आपको पता नहीं है कि इसका कैसे उपयोग किया जाए। जब कोई विशेष परेशानी या अशुभ घटना हो जाती है तो आप ज्‍योतिषियों के पास चक्‍कर लगाने लगते हैं। कई बार अच्छे अनुभव होते हैं और बहुत लाभ होता है तो कई बार कड़वे अनुभव होते हैं और धन का अलग नुकसान हो जाता है। क

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समय को सामने से पकड़ो!

25 मई 2016
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          समय एक ऐसा सेठ है जिसके सिर पर सामने तो केश हैं और पीछे से खल्‍वाट(गंजा)है। समय रूपी सेठ को सामने से पकड़ने पर ही वह पकड़ आता है। उसके पीछे दौड़ने पर वह कभी पकड़ में नहीं आता है। स्‍पष्‍ट है कि समय को पीछे से पकड़ने का प्रयास करेंगे तो वह पकड़ नहीं आएगा अर्थात् आए हुए अवसर हाथ से निकल जाएं

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प्रेम क्या है?

25 मई 2016
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मन में उठा एक प्रश्न-प्रेम क्या है?लगा यूँ कि-अनुभूति के मध्यभावों के संग एक यात्रा है।यात्रा पूर्ण करके, हुई प्रतीति-इसमें पाने की नहीं वांछारहती बस यही आकांक्षा-रीझना उस पर सदारीतना स्वयं का सदातिल-तिल कर होना अदारेशा-रेशा देना बदा।प्रेम एक तल्लीनता है! प्रेम एक तन्मयता है!ढाई आखर का है शब्दलौकिक

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मन के चिंतन से लक्ष्य बनता है!

17 जून 2016
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हमारा मन जाग रहे हैं तो सोचता है और सो रहे हैं तो सपनों में सोचता है। सोचना उसकी नियति है इसीलिए तो निरंतर सोचता रहता है। मन अपनी सोच पर मनन करता है तो सार्थक विचार बनता है  वरना तो जो जी में आए सोचता ही रहता है। सभी को बहुत कुछ चाहिए पर सब कुछ सभी को मिलता नहीं। मिलता वही है जो मन का सोचा चिंतन के

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हैप्पी फादर डे

19 जून 2016
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आज फादर डे है इसका पता तब चला जब बेटी का फोन आया हैप्पी फादर्स डे! यह सच्च है कि बेटियां अधिक ध्यान रखती हैं।कुछ घंटों बाद पुत्र का मैसज आ गया हैप्पी फादर डे पापा। पापा  प्रसन्न हो बोले-धन्यवाद! सभी शब्द नगरी के सदस्यों को जो फादर हैं और उनको भी जो भविष्य में फादर बनने वाले हैं सभी को मेरी तरफ से ह

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चमत्कारिक महामृत्युंजय मन्त्र

17 जुलाई 2016
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    जब कोई व्यक्ति मृत्यु शय्या पर पड़ा होता है, किसी असाध्य रोग से पीड़ित होता है, ऊपरी प्रभाव या हवाओं से निरन्तर रोगग्रस्त रहता है या अचानक दुर्घटना के कारण मृत्यु की घड़ियां गिन रहा होता है तो कहते हैं कि महामृत्युंजय मन्त्र का पाठ करा लो। इससे मृत्यु भी टल जाती है।    मन्त्र के लिए कह सकते हैं

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गुरू पूर्णिमा

19 जुलाई 2016
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गुरू पूर्णिमा 

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त्रिखल दोष क्‍या है?

20 जुलाई 2016
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    जब किसी स्‍त्री के तीन कन्‍या के उपरान्‍त लड़के या लड़की का जन्‍म हो तो इस त्रिखल दोष कहते हैं    त्रिखल दोष अशुभ होता है।    लड़के का जन्‍म हो तो पिता को भय, रोग एवं धनहानि होती है।    लड़की का जन्‍म हो तो माता को कष्‍ट होता है।    यदि आपके संज्ञान में त्रिखल दोष हो तो निज पुरोहित से इसकी शान्त

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खुश कैसे रहें ?

21 जुलाई 2016
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    खुश कौन नहीं रहना चाहता है, सभी तो यही चाहते हैं।     खुश कैसे रहा जाए?      इस प्रश्‍न का उत्तर देने के लिए ही खुश रहने के लिए यहां कुछ बातों की चर्चा करेंगे।     यदि आपने इनको अपनाकर व्यवहार में लाएंगे तो निश्चित रूप से आप खुश रहेंगे।     ये बातें निम्नलिखित हैं-नई रुचियों का विकास करें लेकिन

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प्रबन्धन

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आज का सुवचन     

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स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हार्दिक शुभकामनाएं

14 अगस्त 2016
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सभी को स्वतन्त्रता दिवस मंगलमय हो! 

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आपके इष्टदेवता कौन है ?

16 अगस्त 2016
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          आप जानते ही हैं कि हिन्दुओं के ३३करोड़ देवी देवता हैं। साल का कोई सा दिन ऐसा नहीं जाता होगा जिस दिन व्रत या त्यौहार न हो। एक ही देवता की आराधना करनी चाहिए। जो एक प्रिय देवता होता है वही इष्टदेव होता है। एक देवता की आराधना उत्तम है पर अन्य देवताओं से परान्मुख नहीं होना चाहिए, अपितु उनके प्र

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चर्चा

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प्रभाव

20 अगस्त 2016
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आज का सुवचन

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सुवचनमाला ई बुक के रूप में उपलब्ध

23 अगस्त 2016
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सुवचन जीवन में प्रेरणा देते हैं। सुवचन के सार को जीवन में व्यवहार में लाने पर वे सार्थक हो जाते हैं! सुवचनों को व्यवहार में अवश्य लाना चाहिए। सुवचन सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं। सकारात्मक ऊर्जा सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। इस पुस्तक में प्रेरक व जीवनोपयोगी 190 सुवचन

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अपना आत्मपरीक्षण करें!

6 सितम्बर 2016
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आप सोचते हैं कि आपमें योग्यता है, परिश्रम करने की क्षमता है और उचित अवसर भी मिलते रहते हैं, परन्तु फिर भी लक्ष्य नहीं पूरा होता। आपको लगता है कि आपके पास सच्चे मित्र नहीं है। आपको लगता है कि आपको सदैव गलत ही समझा जाता है। आपको लगता है कि आपको आगे बढ़ने के अवसर मिलते ही नही

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कर्म

15 अक्टूबर 2016
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आज का सुवचन‘हमारे कर्म ही हमारे जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं।’ - ज्ञानेश्वर

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गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

26 जनवरी 2017
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हम सब भारतीय हैं अौर हम सबको भारतीय होने पर गर्व है! सभ्‍ाी भारतीयों को गणतन्‍त्र दिवस के शुभअवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं Happy Republic Day - YouTube

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उन्‍नति (Progress)Un‍nati

2 मार्च 2017
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सुवचन सकारात्‍मक होते हैं अौर दिशा निर्धारित करते हैं। सुपथ दिखाते हैं और लक्ष्‍य प्राप्ति में सहायक होते हैं। आज के सुवचन का शीर्षक 'उन्‍नति' है!यदि आपने अभी तक नहीं किया है तो SUBSCRIBE तुरन्‍त करें आपको नई वीडियो की जानकारी मिलती रहेगी।Video को LIKE और हमारे CHANNEL को

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सफलता किसकी?

8 जुलाई 2019
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सफलता किसकी आज सोमवार है और प्रत्‍येक सोमवार को सकारात्‍मक सोच की चर्चा करते हैं। आज की वीडियो में बताएंगे कि सफलता किसकी होती है?विस्‍तार से जानने के लिए नीचे लिखे लिंक पर क्लिक करें- Loading playlists... YouTube

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