"जीवचक्रं भ्रमत्येवं मा धैर्यात्प्रच्युतो भव!"
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मुझे लेखक और लेखिकाओं की एक बात समझ नही आती। नायक नायिका की तारीफ करते रहो तो वे फूले नहीं समाते और अगर उनमें कमी निकाल दो या फिर खलनायक की किसी खूबी की तारीफ कर दो तो वे ना जाने क्या क्या कहने लगते ह