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आखिर क्यों?

27 जून 2023

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मुझे लेखक और लेखिकाओं की एक बात समझ नही आती। नायक नायिका की तारीफ करते रहो तो वे फूले नहीं समाते और अगर उनमें कमी निकाल दो या फिर खलनायक की किसी खूबी की तारीफ कर दो तो वे ना जाने क्या क्या कहने लगते है कि भगवान करे तुम्हें खलनायक मिले, अगर नायक की बात हो तो तुम उसे समझना नही चाहते तुम्हें बस मेरे किरदारों की बुराई ही करनी होती है। अगर रियल्टी की बात की जाए 99% लोग नायक और खलनायक, अच्छे और बुरे दोनों होते है। समय, परिस्थिति, काल के अनुसार नायक और खलनायक बदलते रहते है।
उदाहरण नीचे👇🏻

फिर आपकी जान बचा ले, वो आपके लिए नायक ही होगा भले ही उसमें लाख बुराइयां ही क्यों ना हो। उस वक्त आपको उसकी किसी बुराई के बारे में पता नही होता सिर्फ उसकी अच्छाई के बारे में पता होता है। वही अगर कोई अच्छा इंसान किसी कारणवश आपकी मदद ना करे या कुछ भी तो वो आपके लिए खलनायक बन जाता है। खलनायक को हरा कर नायक नही बना जाता। उसमें खूबियां भी होनी चाहिए। ये नही की नायक कई कई रिएल्शनशिप बनाए बैठा है और दूसरों में कमी निकाल रहा है।हे है और उन्हें टारगेट कर रहे। फिर भले ही उनके नायक में कितनी भी बुराई क्यों ना हो पर वे बुराई थोड़े ही होती है। हर कोई अपने नेचर, पसंद, आस पास जो देखा और सहा होता है उसी के हिसाब से कहानी लिखता है। आप क्या देख रहे है वो नजरिए की बात होती है। गलतियां भी हर किसी से होती है उन गलतियों से सीखना और दोबारा वे गलतियां ना करना आपको नायक और खलनायक बनाता है।
नायक में सिर्फ अच्छाई हो और खलनायक में सिर्फ बुराई हो ऐसा नहीं होता। हम सही लिखते है और दूसरा गलत ये सोच भी गलत ही है। इस मुद्दे पर आर्टिकल लिखूंगी कभी वक्त मिलने पर😅
बस ऐसे ही दिमाग में आया लिख दिया। इसका किसी मुद्दे से कोई लेना देना नही है। आप सभी को इस बारे में क्या लगता है अपनी राय जरूर बताइए।

#धन्यवाद😊

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27 जून 2023

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