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नये पासे

19 अक्टूबर 2022

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लिख रहा हूँ रंग
बदलते चेहरो की हकीकत के 
जिसमे शामिल हूँ आज मैं भी
आज इन कतारो में,
अब कैसे मिलाऊँगा
नज़रे आईने के सामने
खुद से औऱ औरो से
जिनके लिए आदर्श हूँ
मगर अब लगता है 
इस समाज का
कोई विकल्प लिए बैठा हूँ
जब चाहा तब वही चेहरा
लगा लिया अपनी सहूलियत
के अनुसार औऱ छुपा लिया
खुद को नीयत की आस्तीन में
नये पासे फेकने के लिए
नये तरीको से आँखो में
धूल झोकने के लिए |

अजय निदान
सर्वाधिकार सुरक्षित
9630819356

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने 👍🙏🙏 पढ़ें मेरी कहानी कचोटती तन्हाइयां 🙏

20 नवम्बर 2023

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रचनाएँ
समाज के चेहरे
0.0
समाज का आइना है मानव जीवन और मानव जीवन को सुचारू रूप से चलाने हेतु अनेकानेक संसाधन प्रकृति ने प्रदान किया है। समाज में रहने के लिए शिक्षा, दीक्षा, धर्म, कर्म, संस्कृति, सभ्यता, मानवता, ज्ञान, सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से विविधता में एकता भरना एक बुद्धिजीवी वर्ग करता है। बहुत सी भाषाओं के होते हुए भी हिंदी भाषा साहित्यिक रूप से समृद्ध है।अनेक रंगों की फुहारों से अलंकृत हमारी हिंदी भाषा में प्रबुद्ध जनों की भरमार है। समाज को आइना दिखाने का काम बुद्धिजीवी वर्ग ही खूबसूरती से कर सकता है। वक्त और हालात हमेशा एक सा नहीं रहता लेकिन बुद्धिजीवी वर्ग हर हालत पर गंभीरता से चिंतन कर शब्दों की लड़ियां पिरो दर्पण में मनुष्यता को उसका हर तरह का रुप रंग दिखाता है। समाज का आइना प्रत्यक्षतः दिखाने हेतु हमने एक छोटा सा प्रयास किया है।अनेक बुद्धिजीवियों की रचनाओं को सत्य के धरातल पर प्रस्तुत करने का निर्णय हमारे शुभचिंतक अजय निदान सर ने किया है। मैं यह उम्मीद करतीं हूं कि हमारे पाठक वर्ग समाज का आइना को अपने जीवन में उतारेंगे और हमारी रचनाओं को अपने मन मस्तिष्क से जोड़ कर हमारी मेहनत को एक नया आयाम देंगे। मैं प्रत्येक लेखक की तरफ से पूर्ण आशान्वित हूं कि पाठक वर्ग के हृदय को हमारी रचनाएं अवश्य स्पर्श करेंगी और विविधता के रंग रुपों से सजी हुई सबकी अपेक्षाओं पर खरी उतरेगी। सधन्यवाद 🙏🙏

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