shabd-logo

बावरा मन

16 सितम्बर 2021

9 बार देखा गया 9

बावरा मन ही तो कहेगे जब ये हमारी सुनता ही नही हर वक्त अपनी ही मनमानी करवाता है अपनी मर्जी मुझपर चलाता है सोच भी इसी की फैसले भी इसी के कभी तो लगता है मै इसके काबु मे हूँ जब जैसा चाहता है मै वफादार नौकर  की तरह इसके इशारो पर नाचता रहता हूँ पगला ये भी नही समझता मै भी इसान हू मेरी भी कुछ ख्वाहिशे है कुछ अरमान है सही को गलत कहता है गलत को सही ठहराता है कभी सोचता हूँ इससे अलग हो जाऊ जैसे अभी यह चाह रहा है चाय पिया जाये चलो इसकी यह इच्छा पुरी किये देते है बाकी बाद मे

Pramod Sharma की अन्य किताबें

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए