इस टूटे फूटे जर्जर मकान में
रहते हैं कई किराएदार'
जो अब सिर्फ बकाएदार बन गए हैं..
एक जोड़ी आखें
जो परदेश गए बेटे की याद में
पथरा गई हैं..
एक जोड़ी कान जो अब
बापू की राह पर चल पड़े हैं
लेकिन बुरा क्या, अच्छा भी
नहीं सुन पाते..
इस मकान की कभी,
लॉ एण्ड आर्डर रही जीभ,
वक़्त की मारी लड़खड़ा रही है.
दो जोड़ी हाथ जिन्होंने कभी
ऊँगली पकड़ चलना सिखाया था
आज सिर्फ बाट जोह रहे है,
किसी अपने या अनजान सहारे का.…।