बादल की छाती पर
ओस की स्याही से
सूरज की किरणों से
लिखी मैंने पाती
भावनाओं को चुन चुन
शब्दों में पिरो कर
सजा मैंने दी
जिसे विविध भांति
ऐ चंचल हवा सुन ले
मेरा तू कहना
ले जा उड़ा कर इसे
जहाँ बस्ता हो मेरा साथी
9 फरवरी 2017
बादल की छाती पर
ओस की स्याही से
सूरज की किरणों से
लिखी मैंने पाती
भावनाओं को चुन चुन
शब्दों में पिरो कर
सजा मैंने दी
जिसे विविध भांति
ऐ चंचल हवा सुन ले
मेरा तू कहना
ले जा उड़ा कर इसे
जहाँ बस्ता हो मेरा साथी