shabd-logo

मयखाना

22 जून 2017

1081 बार देखा गया 1081
featured image

सबके दिल को ठेस लगी है

क्यों मय खाने में भीड़ लगी है

सब मंदिर मस्जिद छोड़ गए

article-imageक्यों मय खाने में बैठ गए

जाति धर्म की बात यहाँ पर

सबकी सब बेकार गयी

इक इक बूंद गले से उतरी

सबके दिल को जोड़ गयी

न कोई हिन्दू न कोई मुस्लिम

सब के सब हुए

हम प्याला

हम ख्याला

हम निवाला

रेणु

रेणु

क्या बात है पूनम जी !!!! अति सुन्दर और सार्थक रचना है आपकी !!!!!!!!!!!!!! बहुत शुभकामना --

24 जून 2017

1

मेरी पाती

9 फरवरी 2017
0
3
1

बादल की छाती परओस की स्याही सेसूरज की किरणों सेलिखी मैंने पातीभावनाओं को चुन चुनशब्दों में पिरो करसजा मैंने दीजिसे विविध भांतिऐ चंचल हवा सुन लेमेरा तू कहनाले जा उड़ा कर इसेजहाँ बस्ता हो मेरा साथी

2

मयखाना

22 जून 2017
0
1
1

सबके दिल को ठेस लगी हैक्यों मय खाने में भीड़ लगी हैसब मंदिर मस्जिद छोड़ गएक्यों मय खाने में बैठ गएजाति धर्म की बात यहाँ परसबकी सब बेकार गयीइक इक बूंद गले से उतरीसबके दिल को जोड़ गयीन कोई हिन्दू न कोई मुस्लिमसब के सब हुएहम प्यालाहम ख्यालाहम निवाला

3

बेसहारा

9 सितम्बर 2017
0
1
1

इस टूटे फूटे जर्जर मकान मेंरहते हैं कई किराएदार'जो अब सिर्फ बकाएदार बन गए हैं..एक जोड़ी आखेंजो परदेश गए बेटे की याद मेंपथरा गई हैं..एक जोड़ी कान जो अबबापू की राह पर चल पड़े हैंलेकिन बुरा क्या, अच्छा भीनहीं सुन पाते..इस मकान की कभी, लॉ एण्ड आर्डर रही जीभ,वक़्त की मारी लड़खड़ा रही है.दो जोड़ी हाथ जिन्होंन

4

अपील

11 सितम्बर 2017
0
1
0

अपीलदुनिया की हर माँ से अपील आज तुम अपने आँसुओ को मत रोकना बह जाने दो दर्द की बाढ़ में दुनिया को आज तुम अपनी आवाज़ को मत दबाना जग जाने दो आज हर इंसान को आज तुम अपनी कराहट इतना खुल कर लो इंसान क्या भगवान को भीदर्द का अहसास हो आज की रात तुम मत सोना वरना दुनिया सो जाएगीयदि आज तुम कमज़ोर पड़ गयी तो तुम

5

ख़्वाब

20 जनवरी 2018
0
1
0

दिल तो देना मगर दिल का दर्द नही देना, आँख तो देना मगर आँखों में आंसू नही देना, ख्वाब तो बुनती है हर एक नज़र, ऐ खुदा! कभी इन ख्वाबों को टूटने नही देना

6

व्यथा

11 फरवरी 2018
0
2
1

" अरे भोलेनाथ आप कांप क्यों रहे हैं ? और खिन्न भी लग रहे हैं " थोड़ी देर यूं ही मौन छाया रहा l " कुछ कहिये ना भोलेनाथआप की अस्वस्थता का क्या कारण है ?अरे नारद सुबह से इन पृथ्वीवासियों ने दूध, दही ,शहद से नहला नहलाकर मुझे अस्वस्थ कर दिया lऔर प्रभु खिन्नता का राज ...नारद जिस देश की जनसंख्या एक अरब से

7

मासूमियत का क़त्ल

15 अप्रैल 2018
0
1
0

कभी सूरज की रौशनी बन करमेरे आँगन में बिखर जाती, मेरे मन के हर कोने को जगमगाती कभी चाँदनी बन कर मेरे आँगन में पसर जाती ,मेरे अंदर तक शीतलता भर जाती। कभी खुशबु बन कर ,मेरे आँगन से गुजर जाती। मेरे आस पास क्या वह तो ,अंदर तक मुझे महका ती ,कई दिनों तक जब।,देखा नहीं अ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए