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भाग्य विधाता

29 अक्टूबर 2021

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 राजा रानी को फल खिला देते हैं , और फिर प्रतिदिन महात्मा जी कि सेवा में उपस्थित हो जाते थे , महात्मा जी भी राजा के व्यवहार से निहाल हो गए थे, वह उन्हे खूब आशीर्वाद देते थे, "! कुछ समय पश्चात रानी गर्भवती हुई , यह सुन पूरा राज्य खुशीयाली मनाने लगा ,महात्मा जी राजा से कहते हैं कि अब उन्हें देशाटन के लिए निकलना है ,राजा उनके चरणों पर गिरकर कहते है ,"  महात्मा जी आपकी इतनी बड़ी कृपा हुई है तो कुछ दिन और रुक जाइए  जीवन में पहली बार इस महल में किलकारी गूंजने वाली है ,उसमे कहीं कोई विध्न न पड़  जाए, इसलिए आप से प्रार्थना है  कि जब तक बच्चा जन्म न ले ले आप हम पर कृपा दृष्टि बनाए रखे , "!! महात्मा जी राजा का मान रख लेते हैं , और रुक जाते हैं , !!
वह दिन भी आगया जब राजा के यहां जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया ,पहला लड़का हुआ और दूसरी लड़की ,"!! पूरे राज्य में खुशियों की लहर दौड़ पड़ती है , हर्ष का वातावरण छा जाता है, राजा जी सबसे पहले महात्मा जी के पास जाकर प्रणाम करते हैं और उन्हे आभार प्रकट करते हैं और निवेदन करते हुए  कहते हैं कि"  बस आज और रुक जाइए इन बच्चो का भाग्य पढ़ कर तब  यहां से प्रस्थान करिएगा , "!! महात्मा जी और एक दिन के लिए मान जाते हैं , कहता हैं की उस समय बच्चा होने के उपरांत भाग्य विधाता आकर उसका भाग्य लिखते थे, इसीलिए राजा ने रुक कर भाग्य पढ़ने कि बात कही थी , "!!

महात्मा जी रात में आकर रानीवास के बाहर अपनी धूनी जमा देते हैं , और साधना में लीन हो गए, रात्रि के द्वितीय पहर में भाग्य विधाता आते हैं और अंदर जाकर दोनो ही बच्चो का भविष्य लिखते हैं और जैसे ही वह बाहर आते हैं ,महात्मा जी अपनी शक्ति से उन्हे बांध देते हैं, तो भाग्य विधाता आश्चर्य से उन्हे देख कर पूछते हैं " यह कैसी धृष्टता है मुनिवर , मुझे बांधने का क्या अभिप्राय है, ? महात्मा जी कहते हैं " आपको रोकने के लिए क्षमा प्राथी हूं ,मैं केवल इन बच्चो के भाग्य में क्या लिखा है यह जानना चाहता हूं, "!! भाग्य विधाता कहते हैं " यह संभव नहीं है ,यह अत्यंत गुप्त क्रिया है ,इसे मैं उजागर नही कर सकता तुम मुझे जाने दो ,तुम्हे प्रकृति के कार्य में अड़ंगा नही डालनी चाहिए ,!! 
महात्मा जी कहते हैं " में भी विवश हूं जाने बिना नहीं जाने दूंगा, "!!  जब भाग्य विधाता समझ जाते हैं कि यह नही मानेंगे तो पूछता है ," इनका भाग्य जानकर तुम क्या कर लोगे जो लिख दिया वह तो बदला नही जा सकता  हैं, "!! महात्मा कहते है " जब बदला नही जा सकता है तो बताने में क्या समस्या है ,,"!! भाग्य विधाता विवशता वस उन्हे बताते हैं ," सुनो मनीवर ,इनके भाग्य में मैने लिखा है कि जब ये बच्चे जवान होंगे तो इनका राज्यपाट सब समाप्त हो जायेगा , लड़का लकड़हारा बन जायेगा लकड़ी बेच कर जीवन यापन करेगा पर उसके पास एक घोड़ा अवश्य रहेगा , और लड़की वैश्या हो जायेगी परन्तु उसके पास भी एक ग्राहक तो प्रतिदिन आयेगा जिस से उसकी भी जीविका चलेगी ,"!! महात्मा जी उन्हे प्रणाम कर मुक्त करते हुए कहते है, " क्षमा करिए भाग्य विधाता मैं इनका भाग्य ऐसे बदल दूंगा ,"! भाग्य विधाता कहते हैं " जो हमने लिख दिया वह बदल नही सकता ,"!!  महात्मा कहते है " में उनके कर्मो से उनके भाग्य बदल कर दिखा दूंगा, "!! भाग्य विधाता मुस्कराकर देखते हैं और जाते हैं , महात्मा जी भी यह बात राजा को बता नही सकते थे इसलिए वह भी तुरंत वायु मार्ग से प्रस्थान कर जाते हैं, "!? 

करीब बीस वर्ष बीत चुके थे ,वही महात्मा फिर से उसी राज्य से एक बार फिर से निकलने लगते हैं तो उन्हे  वह घटना याद आती है तो वह उस राज्य में जाकर राजा के बारे में पूछते हैं तो पता चलता है की दुश्मनों ने कुछ वर्ष पहले हमला कर राज्य को अपने  अधीन कर लिया और राजा रानी को पता नही कहां गायब कर दिया ,"!!
महात्मा जी पूछते हैं कि उनके एक पुत्र और एक पुत्री थी वो कहां हैं ,तो एक बुजुर्ग बताते हैं " राजकुमार तो उस सामने वाली पहाड़ी पर रहता है बेचारा रोज लकड़ी काटता है और बेचकर अपनी दिनचर्या चलता है , बहुत बुरा हुआ उनके साथ हम चाह कर भी उनकी कोई सहायता नही कर सकते हैं , ये राजा बहुत ही क्रूर है , हमे उस लायक ही नहीं छोड़ा है कि हम कुछ कर सकें ,"!और राजकुमारी का सुनने में आया है कि वह कहीं वेश्यावृति करती है ,हमे तो कहने में भी अपने आप से घृणा हो रही है कि हमारे राज परिवार की स्थिति इतनी बुरी है, "!! 

पहाड़ी पर एक सुंदर सा नौजवान जंगल से कुछ लकड़ियां तोड़कर अपने घोड़े पर रखकर अपने झोपड़े में आता है ,यह राजकुमार है ,वह जैसे ही लकड़ी उतारता है तो सामने एक महात्मा को खड़े पता है , महात्मा जी को देखते ही रह उनके चरणों में नतमस्तक हो जाता है ,राजकुमार होने की वजह से उसके अंदर किस से किस प्रकार का व्यवहार करना था वह बखूबी जानता था, महात्मा जी उसे आशीर्वाद देते हैं, राजकुमार कहता है " महात्मा जी आपका इस रंक राजकुमार के झोपड़ी में स्वागत है , आप आदेश करे मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं, "!! महात्मा जी कहते है ," पुत्र बहुत भूख लगी है जा अपनी लकड़ी बेच कर खाने पीने कि सुंदर व्यवस्था कर फिर तुम्हे कार्य बताता हूं,"!! राजकुमार खुश होकर लकड़ियां बेचने जाता है, और उन्हे बेचकर खाद्य सामग्री ले आता है और अच्छा स्वादिष्ट भोजन बनाता है ,भोजन कर महात्मा जी तृप्त हो उसे आशीर्वाद देते हैं फिर वही झोपड़े के बाहर अपना आसन बिछा सो जाते हैं ,"!!
सुबह भोर होते ही राजकुमार कुल्हाड़ी लेकर बाहर आता है ,तो महात्मा जी धूनी रमाए बैठे थे, वह घोड़े की ओर बढ़ता है तो महात्मा जी पूछते हैं " कहां जा रहे हो पुत्र,"?? राजकुमार हाथ जोड़कर कहता है " प्रणाम महात्मा जी मैं तो एक दिन लकड़ी बेचकर दो दिन की व्यवस्था कर लेता था पर अब आप की भी सेवा करनी है तो लकड़ी काटने जा  रहा हूं,"! महात्मा कहते हैं अभी बैठो यहां हाट कब लगता  है, "!! लड़का कहता है " भोर के प्रथम पहाड़ समाप्त होते ही लग जाता है ,"!! महात्मा कहते हैं " ठीक है तुम इस घोड़े को हाट में बेच आओ  ,"!! राजकुमार अचंभित रह जाता है क्योंकि घोड़ा बेचने के बाद तो वह कुछ नही कर पायेगा पर वह महात्मा की बात टाल नहीं सकता था ,और वह घोड़ा बेचके खाने पीने की व्यवस्था करता है ,"! 
दूसरे दिन सुबह वह बहुत हो जल्दी उठकर बाहर आताभाई तो वह आश्चर्य चकित रह जाता है  उसके सामने एक घोड़ा था ,भाग्य विधाता ने कहा था, कि एक घोड़ा हमेशा रहेगा, महात्मा कहते हैं जा इसे भी बेच आ , इस तरह उसका घोड़ा इतने महंगे दामों में बिकने लगा था कि उसके लिए बोलिया लगने लगी थी , घोड़ा सीधे ईश्वर की ओर से आता था तो उसकी नस्ल बेमिसाल होती थी राजकुमार अब बहुत धनवान हो गया और अब वह अपनी सेना बना राज्य पुनः प्राप्त करने हेतु लग जाता है ,महात्मा जी उस से उसकी बहन के बारे में पूछते हैं तो वह कहता है " मैं बहुत शर्मिंदा हूं उसके सामने जा नही सकता ,"!! और फिर बताता है कि वह एक स्थान पर वेश्यावृति कर रही है वहा का पता लेकर महात्मा उसे आशीर्वाद देकर निकल पड़ते हैं ,"!! 
महात्मा राजकुमारी के पास पहुंचते हैं ,इतनी सुंदर राजकुमारी का हाल देख महात्मा का मन द्रवित हो उठता है , राजकुमारी भी अपने भाई कि तरह थी वह भी उनका चरण वंदना कर स्वागत करती हैं ,"! महात्मा जी के पूछने पर बताती है कि " दिन में एकाध ग्राहक आ जाते हैं उनसे जो भी एकाध अशर्फी मिल जाती है तो कभी उसके भी टुकड़े मिलते हैं पर खाना पीना चल जाता है, "! महात्मा जी कहते हैं ," बेटी आज जो भी ग्राहक आए इस से 5 अशर्फी मंगाना ,"!! राजकुमारी यह सुन चौक उठती हैं की जो लोग एकाध अशर्फी भी देने में कांखने लगते हैं वो  भला         5 अशर्फी कहां से देंगे ,"!! पर महात्मा जी की बात वह टालना नही चाहती थी तो हां बोलती है ,महात्मा जी उसके घर के बाहर पीपल के पेड़ के नीचे अपनी धूनी लगाते है ,"! 
उस दिन रात में जो ग्राहक आता है राजकुमारी उस से पांच अशर्फी मांगती है तो वह निःसंकोच दे देता है राजकुमारी को बड़ा आश्चर्य होता है, "!! सुबह वह महतमा जी के चरणों में वंदना कर वह अशर्फी रख देती हैं ,तो महात्मा जी उसे आशीर्वाद देते हुए कहते हैं ," पुत्री यह तुम्हारा है ,और आज तुम दस मांगना ,"! राजकुमारी उनकी तरफ देख कर हां में सर हिला देती है, उस दिन दस मिलता है फिर सौ , पांच सौ ,हजार करते हुए ,एक लाख अशर्फी तक बात पहुंच जाती है , उधर राजकुमार अपनी सेना बना कर अपना राज्य पुनः प्राप्त कर लेता है और प्रजा के आग्रह पर अपनी बहन को लाने आता है , उसकी बहन भी तो आज बहुत बड़ी रानी की तरह जीवन जीने लगी थी ,महात्मा जी के चरणों पर दोनो सर नवाते हैं , तभी भाग्य विधाता प्रकट हो महात्मा जी से कहते हैं ," मुनिवर   आपने हमारा घमंड तोड़ दिया ,अब हम पर कृपा करिए ,आज से हम ऊपर से ही सबका भाग्य लिख कर भेजा करेंगे ,पर जिन में भी कर्म करने की क्षमता होगी वह अपने भाग्य को बदल सकेंगे , महात्मा जी मुस्कराकर उन्हे प्रणाम करते हैं और दोनो ही अपने अपने  स्थान के लिए प्रस्थान कर जाते हैं ,इधर राज्य में राजकुमारी का भव्य स्वागत होता है और एक दूर देश का राजकुमार उस से विवाह करता है। राजकुमार तो जिस राजा को हराकर अपना राज्य पुनः प्राप्त किया था उसी के पुत्री के साथ अपना विवाह कर सुखी जीवन व्यतीत करता है,"!!!
इसीलिए कहा जाता है कि कर्म इंसान का भाग्य बदल सकता है बाकी तो को भाग्य में लिखा है वह तो होता ही है,


रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बढिया 👌 👌 👌

2 जनवरी 2022

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

3 जनवरी 2022

धन्यवाद जी

2
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भाग्य विधाता
5.0
यह कहानी एक पौराणिक कहानी पर। आधारित है जिसका अर्थ है की इंसान अपनी मेहनत और लगन से अपना भाग्य बदल सकता है

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