◆●◆● भय का भूत◆●◆●
जिंदगी में बहुत सी चीजें होती है।
हमारे आस पास कभी कभी बहुत सी अजीबो आवाज़े सुनाई देती है क्या सच में ऐसा होता है ?
इसी पर आधारित एक कहानी लिख रही हूँ ।क्या सच में भूत है क्या हम डरते ही है।।
कहानी शुरू होती है अब--
एक समय की बात है एक सेठ अपने परिवार के साथ एक बड़े शहर में रहता था उसके परिवार में सेठ और सेठानी और उसका 20 साल का बेटा रहता था । सेठ अच्छा पैसा वाला था क्योंकि 3,4 दुकाने थी । दुकाने काफी हद तक अच्छी चल रही थी अच्छा मुनाफा भी होता था पर कहा गया कि कब रंक से राजा बन जाये और कब राजा से रंक ।।
एक दिन शहर में बहुत बड़ा तूफान आया सारे शहर में पानी भर गया सब तहस नहस हो गया । सेठ की सारी दुकाने तूफान की वजह से टूट गयी सारा सामान पानी में बह गया एक महीने तक शहर में पानी भरा रहा जिसकी वजह से सेठ का बहुत नुकसान होगया उनका परिवार शहर में दाने दाने का मोहताज हो गया । अब उसके पास न दुकान थी न कोई कारोबार जितना पैसा था उसका उनसे अपनी पत्नी के इलाज में लगा दिया था । अब सेठ परेशान हो गया कि क्या किया जाये शहर में रहेगा तो पैसे की जरूरत है । अब उसके पास एक ही रास्ता था गाँव । सेठ के दादा जी के गाँव में एक पुश्तेनी घर था और थोड़ी बहुत खेती भी बची थी । सेठ के मन में ख्याल आया की गाँव जाकर खेती से कुछ पैसे इकट्ठा कर लेंगा फिर से अपना व्यापार शुरू करेगा इसी मकसद के साथ वो गांव की और चल दिया।।
गाँव में पहुँचते ही वो अपने पुराने घर की ओर बढ़ा और घर तक पहुँच गया। वहाँ आस पास के घरों के लोगो ने कहाँ यहाँ मत रहो इस घर में भूतो का वास है बहुत सी आवाज़ आती है कि इस घर से दूर रहो।। पर सेठ और सेठानी ने उन लोगो पर भरोसा नही किया और करते भी क्या उनके पास सिर्फ वही घर का सहारा बचा था। अब वो अपने घर की ओर बढ़ते है और घर का दरवाजा खोलते है । वहाँ से एक आवाज़ आती है यहाँ से चले जाओ पर वो आवाज़ उसके बेटे को ही सुनाई देती है किसी और को नही । वो घर अंदर से बहुत भयानक था बहुत धूल मकड़ी के जाले पर सेठ और सेठानी अन्दर जाते है और पूरे घर को साफ़ करते है । घर साफ़ होने के बाद घर चमकने लगा । सब अच्छे से हो गया पर सेठ का बेटा महेश अब भी डर में था कि घर में भूत है । समय बीत रहा था एक दिन महेश को एक आवाज़ आयी क्यों आये हो यहाँ चले जाओ चले जाओ महेश डर के अपने माता पिता के पास जाता है और सब कुछ बताता है पर कोई बिश्वास नही करता क्योकि किसी को कोई आवाज़ नही सुनाई देती। रोज रोज यही माजरा चलता रहा पर हर बार की तरह सिर्फ आवाज़ महेश को ही सुनाई देती थी।
एक दिन सेठ और सेठानी गाँव के मंदिर में गये थे और महेश घर में अकेला पढ़ रहा था तो अचानक उसे ऐसा लगा की उसके पीछे से कोई तेजी से निकल गया और महेश डर का वही गिर पड़ा कुछ देर बाद सेठ और सेठानी आते है और महेश की हालत देख कर बहुत दुखी होते है । महेश उनको सब बताता है । सेठ और सेठानी इस बार भी भरोशा नही करते फिर भी अपने बेटे की हालत देखकर अपने घर पंडित को बुलाते है पूजा पाठ की योजना बनाते है । गाँव वाले महेश से कहते भूत ये पूजा नही होने देंगे । बरसात का मौसम था और पंडित जी पूजा को आये पूजा होने लगी हवन होने लगा की अचानक बारिश होने लगी जिसकी वजह से हवन न हो सका अब महेश और भी डर गया । डरते डरते समय बढ़ रहा था की एक दिन महेश अपने घर के पीछे बाग़ में बैठा था कि हवा चलने लगी और उसके पीछे एक झूला लगा था वो अपने आप झूलने लगा महेश इसे देख कर घर की और भगा और अपने कमरे की और जाते हुए गिर गया । गिरने की वजह से सर पर चोट आई महेश को लगा ये सब उस भूत ने किया है । चोट की बात सुनकर महेश के कुछ दोस्त जो की शहर में रहते थे । महेश से मिलने गाँव आये । महेश ने उन्हें भूत के बारे में कुछ नही बताया । सब लोग खाना खाते हँसते खेलते बाते कर रहे थे पर महेश का दिमाग भूत में ही था । रात होने को आयी सारे दोस्त और महेश ऊपर छत पर लेटने को गये सब सोने लगे की फिर से वही आवाज़ आयी और महेश चीख उठा । उसकी आवाज़ सुनकर सारे दोस्तों की नींद टूटी गयी तो दोस्तों ने महेश से पूछा क्या हुआ । महेश ने सारी घटना का विस्तार से बताया पर दोस्तों को विश्वास नही हुआ । महेश को बगीचे की ओर एक दम कुछ दिखाई देता तो वो सबको बताता है देखो वहाँ कोई खड़ा है दोस्त भी उसी की ओर देखने लगते है । और सब उसके पास जाने की जिद करते पर महेश मना करता है परंतु दोस्त नही मानते और महेश को बगीचे की ओर ले जाते है वहाँ जाकर देखते है कि वहाँ कोई नही है वहाँ पेड़ की परछाई है कोई नही खड़ा फिर अचानक पीछे से झूला झूलने की आवाज़ आती है तो महेश कहता देखो कोई झूल रहा है तो एक दोस्त उस झूले पर जाकर बैठ जाता है वहाँ भी कोई नही होता। वहाँ हवा के वेग की वजह से झूला डोलने लगा था ।
अब सारे दोस्त महेश को समझते है कि कंही कुछ नही है सिर्फ तुम्हारा भय है । महेश बोला वो आवाज़े वो क्या है तो दोस्तों ने कहा कोई आवाज़ नही है अगर होती तो सबको सुनाई देती तुम्हे अकेली क्यों ।। तुम्हारे मन में गाँव वालों ने भय भर दिया की भूत है । तुम भूत देखना चाहते हो इसलिए तुम्हे दिखता है तुम् आवाज़ सुनना चाहते हो इसलिए तुम्हे आवाज़े सुनाई देती है। तब महेश समझा की सच में जो हो रहा था वो वास्तविक नही था बस उसका भय था । कुछ दिन बाद न वो आवाज़े सुनाई देती न कोई दिखयी देता।।
मै ये नही कहती की भूत नही होते पर जब तक आप निडर हो कर उन्हें देख न ले। हमारे अंदर भय पैदा हो जाता है हम जो सुनना चाहते वही सुनाई देता हम जो देखना चाहते वही दिखाई देता परंतु वास्तविक में ऐसा नही होता । किसी की बातों को सुनकर उन पर विश्वास के साथ अपने अंदर कोई भी भय न पाले क्योकि आप अपने अंदर भय पैदा करले तो वही भय भूत बन जाता है।
जब तक कोई भी चीज खुद से न देख ले विश्वास न करे।
अगर हम कुछ देर ये सोचते रहे की मेरे पीछे कोई खड़ा है तो हमे महसूस होने लगता है की हा कोई है पर कोई नही होता।।
धन्यवाद
अर्पिता पटेल