दै नंदिनी प्रतियोगिता
दिनांक ६/२/२२ सत्य कथाओं के संग।
भूलने जानें की आदत
अगले दिन जैसे ही मैं पत्नी से नाश्ता मांगने किचन की ओर बढ़ा , देखा ... पोर्च में वह अपने पुत्र से गुप्तगु में मगन थी। इसमें पांच गेयर है न ? पत्नी का खिला हुआ चेहरा देख कर मैं भी आनंदित हो गया और उसे बाधित करना उचित नही समझा।
पुत्र ने मां के कथन में अपनी _सहमति जताई और उन्हे बाईक की और खूबियां बताने लगा ।
अचानक ही उनकी नजर मुझ पर पड़ी तो चौंक कर बोली_ अरे आपका नाश्ता!! मैं तो भूल ही गई थी।
पत्नी किचन की ओर चल दी पर मैं इस क्षण पुत्र को देख कर न जाने खुद को क्यों अकेला महसूस कर रहा था, पर क्यों? काफी चिंतन के बाद तस्वीर कुछ स्पस्ट हो रही थी, और वह यह थी कि मेरे पुत्र ने छत के पुनर निर्माण का फैसला चाचा के साथ मिल कर लिया था, उसने इस सम्बन्ध में मुझसे एक बार भी राय मशविरा करना उचित नही समझा था। यह बात मुझे अत्यन्त पीड़ा दे रही थी।
नाश्ता के बाद मेरा दूध लाने का रूटीन वर्क था। मैं तैयार हो ही रहा था कि पत्नी राशन कार्ड की फोटो कॉपी थमाते हुए बोली_ सरपंच से मिलते हुए आइएगा उसने अपने राशन कार्ड में कुछ त्रुटीयां बताई थी, सुधरवा लीजिएगा।
ठीक है, मैने कहा और पत्नी के हाथ से राशन कार्ड की प्रतिलिपि ले कर बाईक की चाबी ढूंढने लगा।
दूध लेने व राशन कार्ड सुधरवाने में दोपहर हो आई और मैं घर आने के पश्चात दोपहर का भोजन ले कर पत्नी। के। खाना खा लेने के पश्चात उसके संग एक चांस लूडो खेल। कर नींद के आगोश में चला गया।
शाम होने को आई , मैं पत्नी को सब्जी काटते देख चौंक गया, उसे याद दिलाया कि आज तो मिस्टर कृष के यहां उनके दो बेटे की शादी है उनके रिसेप्शन में जाना है तो पत्नी अफसोस जताते हुए बोली कि वह तो दोपहर को ही था , मेरे ख्याल से ही उतर गया ।
मैं सोच रहा था कि मिस्टर कृष न जाने हमारे बारे में क्या राय बनाएंगे ! उफ्फ, मैं अपने इस भूलने की आदत को ले कर एक बार फिर परेशान हो गया था। मन को सांत्वना देने के लिए मैने टी वी ऑन किया और आज की गंदी राजनिति का श्रवण करने न्यूज चैनल खोल दिया ।