Dr Vasu Dev yadav
मैं 2001 से लेखन के क्षेत्र में हूं बहुत से मंचों में मंचस्थ हुआ हूं तीन काब्य पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है और अभी एक इंग्लिश नोवेल प्रकाशित हुई है ( ड्रीम व्हेन यू स्टार्ट डेकोरेटिंग,,) दूसरी नोवेल लिख रहा हूं हिंदुस्तान में अब गांव की गलियों में भी साहित्य की उपासना हो रही है यह गर्वोक्ति हर हिंदुस्तानी में होना लाजिमी है । कलम कुछ नया करने की चाह में निरंतर चलती है बिना थके अविरल बहती रहती है । गंगा मइया में मिलने को आतुर , कहानियों की सरिता बन कर लघु कथाओं के रूप में बालिकाओं महिलाओं को चिन्हित करती, उसकी वेदनाओं को चित्रित करती हुई समाज में उसके प्रति सार्थक संवेदनाओं की आकांक्षी यह कलम जनमानस को झिंझोड़ने व सतर्क करने में कितनी सफल हो पायेगी यह तो पाठक वृंद के आशीर्वचनों से ही सुशोभित हो पाएगा।
उपन्यास शब्दों की सर्जरी
शब्द अपने आप में एक विशाल समुद्र है यह अपने गर्भ में असंख्य हीरे मोती एवं ज़हर की पोटली समाए रखते है एक शब्द युद्ध की नींव रख सकता है तो एक शब्द वात्सल्य की गंगा बहा सकता है । इस पवित्र गंगा को मैली करने का सामर्थ्य शब्दों में ही तो है। यह
उपन्यास शब्दों की सर्जरी
शब्द अपने आप में एक विशाल समुद्र है यह अपने गर्भ में असंख्य हीरे मोती एवं ज़हर की पोटली समाए रखते है एक शब्द युद्ध की नींव रख सकता है तो एक शब्द वात्सल्य की गंगा बहा सकता है । इस पवित्र गंगा को मैली करने का सामर्थ्य शब्दों में ही तो है। यह
शब्दो का जादू ( काब्य पुस्तक)
समाज की सकारात्मक, नाकारात्मक सोच के परिणामताः हो रही घटनाओं, दुर्घटनाओं की शब्दों के द्वारा प्रत्यक्ष गवाही
शब्दो का जादू ( काब्य पुस्तक)
समाज की सकारात्मक, नाकारात्मक सोच के परिणामताः हो रही घटनाओं, दुर्घटनाओं की शब्दों के द्वारा प्रत्यक्ष गवाही
दैनंदिनी, सच्ची घटनाओं के संग
मनुष्य अनजान घटनाओं से नावाकिफ अपनी हरकतों को नित्य ऐसे अंजाम देता है जैसे वक्त उसका गुलाम हो पर कभी कभी वक्त की पटकनी उसे कष्टों के जंगल में निष्ठुरता से फेंक आती है तो कभी उसे ऐसे उपहार से नवाज देती है जिसकी उसने कल्पना भी नही की थी कुछ
दैनंदिनी, सच्ची घटनाओं के संग
मनुष्य अनजान घटनाओं से नावाकिफ अपनी हरकतों को नित्य ऐसे अंजाम देता है जैसे वक्त उसका गुलाम हो पर कभी कभी वक्त की पटकनी उसे कष्टों के जंगल में निष्ठुरता से फेंक आती है तो कभी उसे ऐसे उपहार से नवाज देती है जिसकी उसने कल्पना भी नही की थी कुछ
जमीर
समाज कल्याण के नाम पर छद्म वेश में लूट खसोट को बेनकाब करती बेबाक चिंतन की धारा शायद कलुषित मन को निर्मल कर सके इसी प्रयास में एक दस्तक देने की कोशिश
जमीर
समाज कल्याण के नाम पर छद्म वेश में लूट खसोट को बेनकाब करती बेबाक चिंतन की धारा शायद कलुषित मन को निर्मल कर सके इसी प्रयास में एक दस्तक देने की कोशिश
प्रतिदिन की घटनाएं एवम अविष्कार
बीते दो सौ वर्षों में प्रतिदिन हुई घटनाएं व अविष्कार को एक मंच पर लाने का एक ऐसा प्रायस जिससे छात्रों को कम समय में विश्व के परिदृश्य को समझने का अवसर मिले और उसके ज्ञान के अलौकिक यात्रा में एक सुखद अध्याय और जुड़ सके।
प्रतिदिन की घटनाएं एवम अविष्कार
बीते दो सौ वर्षों में प्रतिदिन हुई घटनाएं व अविष्कार को एक मंच पर लाने का एक ऐसा प्रायस जिससे छात्रों को कम समय में विश्व के परिदृश्य को समझने का अवसर मिले और उसके ज्ञान के अलौकिक यात्रा में एक सुखद अध्याय और जुड़ सके।