शब्द अपने आप में एक विशाल समुद्र है यह अपने गर्भ में असंख्य हीरे मोती एवं ज़हर की पोटली समाए रखते है एक शब्द युद्ध की नींव रख सकता है तो एक शब्द वात्सल्य की गंगा बहा सकता है । इस पवित्र गंगा को मैली करने का सामर्थ्य शब्दों में ही तो है। यह शब्द ही तो है जिसके मोह जाल में लडकियां ज्यादा शिकार होती हुई दिख रही है । कहीं कहीं इनके शब्द भी महाभारत रचते हुए दिखाई दे जाते है । इन्हीं तानों बानो में उलझे इस उपन्यास के शब्द आपको मार्ग दर्शन भी देते प्रतीत होंगे इसी के साथ ही.... आपके आशीर्वाद का आकांक्षी आपका ही डॉ वासु देव यादव
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