इन बादलों की, फितरत अजीब है । किसी को, खुश करने की अदा, बेहतरीन है ।किसी को, स्नेह जल से, महका जाते हैं । पर किसी का, सब कुछ, बहाकर चले जाते हैं ।को
बेटियों की मुस्कुराहट ही, हमारे घरों की शान है । बेटियां ही हमारे घरों की, पहचान हैं ।जिन घरों में, बेटियों की, चहलकदमी नहीं होती । सचमुच वहां पर, लक्ष्मी सुशोभि
तेरी आंखों में जो, गहरी झील नजर आती है । उसे देखकर ये नैनी झील, भी शर्माती है ।खुदा कसम, कुदरत की अनोखी, रचना हो तुम । मेरी जिन्दगी का इक ,सुहाना स
दिल करता है, इन खूबसूरत नजारों में खो जाऊं, मैं । तेरा हाथ, मेरे हाथ में हो, बस तेरी बांहों में सो जाऊं, मैं ।न कोई मुझे देखे, न मैं, किसी को देख पाऊं । बस तेरी ज
मंजिलें नहीं मिलीं, कोई बात नहीं । आज भी हौंसले, आसमां में, उड़ने के रखता हूं ।तकदीर ने बेवफाई की, कोई बात नहीं । आज भी उसे, आगोश में लेने की, चाहत रखता
इन बहुमंजिली इमारतों में, खो गया था, मैं । शायद करवटें, बदल-बदल कर, सो रहा था, मैं ।क्यूं , रास नहीं आती, महानगरों की जिंदगी ? क्यूं , इंसान
शिव शंकर भोले, जग में महादानी हैं । शिव शक्ति,शिव जीवन दायक,शिव ही संहारक हैं ।जो भी शिव की शरण में आया । काल उसे, फिर डरा न पाया ।शिव की भक्ति में,
मुझ पत्थरों का भाग्य, क्यूं , अनजान है ? मुझे बहती नीर-धाराओं से, क्यूं, प्यार है ?यूं तो मैं, भाता, किसी को हूं, नहीं । फिर मुझे, क्यूं जिंदगी से प्यार ह
तेरी रचना की खूबसूरती पर , आज नाज, आ गया । तेरी कारीगरी का सचमुच, मुझे अन्दाज, भा गया ।तेरे हाथों की जादूगरी, आज दिल में समा गयी । ऐसा जादूगर न कभी देखा, न सुना ।
मैं श्वेत पुष्प बन, धवन नवल, दुनिया की चितवन खोज रहा । क्यूं नहीं , निहारता जग है, मुझे, भौंरे सा यह जग खेल रहा ?दुनिया तो रंग-बिरंगों में, है, अपना यौवन खोज रहा । &nb
मैं संत नहीं, कबीर नहीं । फिर भी कुछ, कहना चाह रहा ।कुछ मूल्यवान शब्दों की, लड़ियां अर्पित करना चाह रहा । जीवन में, अपने कर्मो का, रहता है, अस्तित्व बड़ा ।कुछ कर्मों से जग में
मैं परछाई, वफ़ा की जीती-जागती मिसाल हूं । कोई हमसफ़र साथ न हो, फिर भी, मैं, वफादार हूं ।लोग साथ छोड़ जाते हैं, मुसीबत में । हम हमेशा साथ रहते हैं, मुसीबत
सुन्दर सुबह, मन भा गयी मुझको । इक नया संदेश, दे गयी मुझको ।नया है, सवेरा, नयी आश हो । अच्छे कर्मों की जीवन में, सौगात हो ।चंद दिन का जीवन है, चंद दि
तेरी मुरली की धुन पर, मैं बावली हो चली । तुझ बिन कुछ रास न आये, मैं तो अब, दीवानी हो चली ।लोक-लाज, मर्यादा, कुछ न रास आया, हमें । हर पल तेरे प्रेम ने, बावला बनाया, हमें ।प्या
इन फूलों की तरह हंसी ,क्यूं लगता है, तुम्हारा प्यार ? जब से तुम्हें चाहा है, क्यूं हो गया है, अजीब मेरा हाल ?करवटें बदल-बदल कर, रातें कट जाती हैं । नींद मेरे दिल पर, तुम्हारा
योग करके, निरोग हो जाइये । निरोग होकर, अपनी शक्ति को बढ़ाइये ।शक्ति सम्पन्न हो, अहं को मत लाइये । अहं पालकर, किसी और को, न सताइये ।जिन्दगी में शक्ति सम्पन्न भी, विनाश हो गये ।&
मूक वह, वशीकरण, जो पास ले आता है । वाद-विवाद, तो केवल, दूरी को दर्शाता है ।निशब्द हो, इंसान सब कुछ कह देता है, भाव से । प्यार पुष्पित हो ह्रदय में, झलकता है, आंखों के
कहना कुछ और चाहता हूं, मुंह से निकल जाता, कुछ और है । कभी-कभी गुस्सा करना चाहता हूं, पर लरज आता, प्रेम है ।कभी-कभी शिकायतें करने का, मन हो जाता है, पर दर्शा जाता सहानुभूति हूं ।&nbs
दुनिया के रिश्तों पर, यकीन न रहा । कान्हा के प्यार पर, यकीन हो चला ।जिन्दगी की भीड़ में , अकेला था बहुत । कान्हा के प्यार पर, भरोसा है, बहुत ।मुश्कि
संदेश प्रियतम तक भेजने को, आगाह कर रही हूं । कोई संदेश न आया, इसीलिए बेताब हो रही हूं ।इक प्रेम जगाकर, कोई खबर, क्यूं न ली ? इस तरह बेरुखी से, उन्होंने नजरें, क्