मेरी इस पहली कृति का नाम 'सीमांचल' है। 'सीमांचल' शब्द का अर्थ सीमा के आसपास के भूखंड या अंचल से जुड़ता है। पहले यह स्पष्ट कर दूं कि इस कृति का नामकरण 'सीमांचल' करते हुए मेरे मन में कहीं भी कोई राजनीतिक नक्शा नहीं रहा है, बल्कि इस कृति के लिए यह नाम मेरे रचनात्मक व्यक्तित्व के भूगोल की अलग-अलग सीमाओं को लगातार विस्तार देने की कोशिशों का परिचायक है। सन 2003 में जब मैं ने टीएनबी कॉलेज, भागलपुर के हिंदी विभाग से स्नातक की पढ़ाई शुरू की थी, तब वहां के आदरणीय गुरुजनों यथा डॉ योगेंद्र , डॉ संजीव ठाकुर एवं सहयोगी मित्रों की को देख - देख मैंने भी लिखने की शुरुआत की थी। मेरे साथी लेखकों में डॉ. अरुणाभ सौरभ, श्री मुरारी सिंह, डॉ विकास सिंह, डॉ सुनील कुमार सिंह, डॉ जितेश कुमार जैसे मित्रों के बीच स्वांतःसुखाय मैंने भी लिखना शुरू किया। लिखने का वही सिलसिला आज तक जारी है। मैं कभी लेखन में नियमित तो नहीं रहा पर अपने समय को देखकर जो कुछ प्रतिक्रिया जगती थी उसे लिख दिया करता था। इस संकलन में करीब 30-35 कविताएं सन 2003 से 2008 के बीच की लिखी हुई है। इसके अलावा अन्य कई रचनाएं हैं, जो उसी क्रम से समय के सीमांचल का काव्यांकन है। इधर जब मेरी थीसिस जमा हुई तब मेरे अजीज सहयोगी आदरणीय डॉ अभय कुमार (संप्रति हिंदी विभाग, बीआरएम कॉलेज ) ने एक दिन कहा कि अब आपको एक काव्य - संग्रह निकालनी चाहिए। अभय सर की यह बात मैंने टालनी चाही, मगर इसी क्रम में पीएचडी प्रसंग को लेकर मेरी जीवनसंगिनी और मेरी प्रेरणा सीमा जी से एक शर्त के मुताबिक अभय सर ने काव्य - संग्रह निकालने के लिए के लिए तैयार कर लिया। उन्होंने मुझसे कहा कि किसी भी सूरत में सीमा जी के जन्मदिन पर उन्हें कविता - संग्रह के रूप में एक नितांत अनोखा उपहार देना है और आज से तीन महीने पहले जो कमिटमेंट हम तीनों में हुई थी, उसी का परिणाम स्वरूप यह संग्रह आपके सम्मुख है। आशा है कि यह रचना - संग्रह आप सभी को पसंद आएगी।
डॉ चन्दन कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर
हिंदी विभाग
जमालपुर कॉलेज, जमालपुर
मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर
सीमांचल सेट (१)