जीवन की राह अजीब होती है, कब कौन कहाँ , किसी से कब टकरा जाए और जीवन का हिस्सा बन जाए कहना और सोचना बहुत ही मुश्किल है I इंसानी जीवन का यह खासियत है की वह विश्वास और आशा के सहारे हमेशा गतिशील रहता है I कक्कू एक बहुत ही सीधा लेकिन हमेशा आत्मविश्वास से भरा जीवंत इंसान था, सच्चाई और लगन के साथ ,सही दिशा में परिश्रम करना उसे बहुत ही पसंद था और उसके जीवन की धारा अपने ऐसी अंदाज़ से गतिशील थी I
जीवन ने एक करवट बदला और एक दिन कक्कू का मुलाकात रीमा से हुआ और ना जाने कब आपस में दोनों के बीच एक लगाव सा हो गया ,बाद में यही लगाव आपसी प्यार में बदल गया I कक्कू को लग रहा था जैसे जीवन ने एक सुनहरा मौका दिया है की जीवन को सच्चे प्यार और उमंग से भर सके I रीमा को वो साड़ी खुशियां देना चाहता था जिसका उसे अधिकार था I धीरे -धीरे कक्कू और रीमा की आपसी समझ गहरे प्यार में बदलने लगी और दोनों एक दूसरे के लिए समर्पित होने के लिए तैयार से दिखने लगे I
जीवन की धारा ने एक और मोड़ लिया और अचानक से रीमा के व्यव्हार में बदलाव आने लगा , जिसको देखकर कक्कू हैरान सा रहने लगा और उसके समझ में कुछ आता नहीं था I जिस रीमा को वो अपनी साँसों से ज्यादा प्यार करता था वो अचानक से एक अलग रीमा बन गयी , और उसका एक ही लक्ष्य दिखने लगा और वो लक्ष्य था सिर्फ किसी भी तरह धन की प्राप्ति I
कक्कू तो रीमा पर सब कुछ लुटाना चाहता था लेकिन रीमा के बदले हुए स्वभाव पर वो हैरान भी था और रीमा के धन के मांग को लेकर सचेत भी होने लगा I कक्कू के यह अहसास कर लिया था की जिसे वो अपने साँसों से भी ज्यादा प्यार करता है , वही रीमा सिर्फ दिखावे के लिए प्यार का झूठा अहसास करती है I
प्यार को पहचानने का सबसे अच्छा तरीका क्या हो सकता है, इसका सही सही परिभाषा बता पाना मुश्किल है लेकिन अपने साथी के पिछले जीवन के बारे में सही सही जानकारी प्राप्त करना भी एक तरीका है और कक्कू ने ऐसी सिद्धांत को अपनाया I कक्कू ने पाया की रीमा का पिछले जीवन ही नहीं बल्कि अभी का जीवन भी अनेकों आशिकों से भरा परा है , और अपने रंगीन सपनो के पूरा के लिए , रीमा अपने सारे आशिकों का भरपूर इस्तेमाल करती है I कक्कू तो सिर्फ उसके लिए धन बसूलने का एक मोहरा था और कक्कू के सहारे ,रीमा अपने अनेक आशिकों के साथ रंगलेरिया मनाकर रहना चाहती थी I , , रीमा की सच्चाई जानकार कक्कू पूरी तरह से टूट सा गया ,उसकी समझ में ये आ गया था की जिस रीमा को वो गंगा की पवित्र मिटटी समझ कर दिल से लगाया था वो सच्चाई में कुछ और ही थी I कक्कू को इस सच्चाई कअनुभव हो गया था की सिर्फ कोठे पर नाचने वाली ही वैश्या नहीं होती है, बल्कि घर के चार दीवारी के अंदर रहनेवाली भी वैश्या से ज्यादा खतरनाक हो सकती है I सीधी साधी दिखनेवाली , इज़्ज़तदार घर में रहनेवाली का अगर चरित्र वैश्या वाला हो तो क्वो बिना कोठे के भी, छदम वैश्या बनकर प्यार का दिखावा करके, सीधेसाधे इंसान को मुर्ख बनाकर अपनी रंगरेलिया मना सकती है I ऐसे में सावधानी बचाव है I