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जीवन की एक सच्चाई

19 मार्च 2022

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एक अजीब सी कसमकश में था, जब कक्कू ने  देखा की एक भूख से व्याकुल, लगभग मरणासन्न अवश्था में पड़े  हुए भिखारी के तस्वीर को, कोण बदल बदल कर खिंचा जा रहा था. तस्वीर लेनेवाला व्यक्ति , निश्चित रूप से संपन्न जान पड़ता   था , फिर उसे ऐसे तस्वीरों की क्या आवश्यता थी ? कक्कू विद्यालय  जाते समय यह  दृश्य देखकर रुक गया . कुछ समय तक, कुछ सोचने के बाद कक्कू  तस्वीर लेने वाले  व्यक्ति  के पास पहुंच गया . कक्कू ने पूछ ही लिया - चाचाजी , आप इनकी तस्वीर क्यों ले रहे हैं ? आप चाहे  तो इस भूख से व्याकुल भिखारी को  खाना खिला सकते है , आप इसे अच्छे अवस्था में ला सकते है ?

कक्कू की बात सुनकर भी , तस्वीर लेनेवाले व्यक्ति ने अनसुना कर दिया ,  उसने अपने जरुरत के  अनुसार तस्वीर ले ली और जाने की तैयारी करने लगा . कक्कू ने फिर से  अपना प्रश्न दुहराया तब उस व्यक्ति ने जवाब दिया . ये दया, धर्म, परोपकार से मुझे क्या लेना देना . मै  एक  प्रोफेशनल फोटोग्राफर हूँ और मेरा काम ऐसे ही तस्वीर को लेना है . अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में  ये तस्वीरों को बहुत ही ऊंचे ऊंचे  दामों में बेचा जाता है और यही हमारे  जीने का साधन है.  गरीबी और भुखमरी  को क्या कोई  मिटाना चाहता है ?   कक्कू निरुत्तर था , उत्तर की तलाश में , वह  विद्यालय  जाने लगा . कुछ पल में उसने जीवन की एक सच्चाई  से सामना  किया था . कक्कू सोच रहा था की क्या हम इस स्तर पर आ  गए  है की हम दूसरों की लाचारी और मज़बूरी को बेच कर अपना जीवन यापन करें ?

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