shabd-logo

common.aboutWriter

मन में उठती तरंगों को शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास करती हूँ....

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

vyam

vyam

मुक्त-छंद

निःशुल्क

vyam

vyam

मुक्त-छंद

निःशुल्क

common.kelekh

माँ ऐसी होतीं हैं...

11 दिसम्बर 2015
8
0

🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁-------माँ ऐसी होतीं हैं-------------------------------------------जन्म लिया नन्हे ने, सबके चेहरे खिल गये। माँ भी तो खुश होती, पर चिन्ताओं से घिर जाती। नन्हा अब चलना सीखेगा, घुटुउन घर आँगन दौड़ेगा, चिन्ता के कारण ये सारे।  चोट कहीं ना लग जाये, घर का सारा सामान उठाती। घर के वास्तुशा

मानवता मर रही

11 दिसम्बर 2015
0
0

🌵🌾🌵🌾🌵🌾🌵🌾🌵🌾🌵🌾---मानवता मर रही - - - अन्तर्मन सवाल कर रहा मानवता क्यूँ मर रहीइंसा इंसान दुश्मन क्यों जीवन इतना त्रस्त क्यों अनमोल जो जीवन था सस्ते दामों में बिक रहा दिशाएं भ्रमित क्यों हुईं --------------अन्तर्मन सवाल कर रहा। पिता पुत्र  सम्बन्ध निरर्थक बेटी पिता से शर्मसार क्यों घर घर को

माँ ऐसी होतीं हैं...

26 नवम्बर 2015
7
0

🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁-------माँ ऐसी होतीं हैं-------------------------------------------जन्म लिया नन्हे ने, सबके चेहरे खिल गये। माँ भी तो खुश होती, पर चिन्ताओं से घिर जाती। नन्हा अब चलना सीखेगा, घुटुउन घर आँगन दौड़ेगा, चिन्ता के कारण ये सारे।  चोट कहीं ना लग जाये, घर का सारा सामान उठाती। घर के वास्तुशा

माँ गंगा

26 नवम्बर 2015
3
0

🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺---माँ गंगा को मेरा अर्पण - - - - एक कोशिश समीक्षार्थ...... रहेंगे कब तलक प्यासे नदी तुम लौट भी आओ/ना तड़पाओ रह रहके हमें अब लौट भी आओ//-----------------------------------------अतृप्त तन मन अपना अबतो आत्मा तक प्यासी/ये तेरा रूप कैसा है कि मन बैचेन है मेरा//-----------------------

माँ ऐसी होतीं हैं...

26 नवम्बर 2015
2
0

🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁-------माँ ऐसी होतीं हैं-------------------------------------------जन्म लिया नन्हे ने, सबके चेहरे खिल गये। माँ भी तो खुश होती, पर चिन्ताओं से घिर जाती। नन्हा अब चलना सीखेगा, घुटुउन घर आँगन दौड़ेगा, चिन्ता के कारण ये सारे।  चोट कहीं ना लग जाये, घर का सारा सामान उठाती। घर के वास्तुशा

माँ ऐसी होतीं हैं...

24 नवम्बर 2015
4
0

🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁-------माँ ऐसी होतीं हैं-------------------------------------------जन्म लिया नन्हे ने, सबके चेहरे खिल गये। माँ भी तो खुश होती, पर चिन्ताओं से घिर जाती। नन्हा अब चलना सीखेगा, घुटुउन घर आँगन दौड़ेगा, चिन्ता के कारण ये सारे।  चोट कहीं ना लग जाये, घर का सारा सामान उठाती। घर के वास्तुशा

गोवर्धन गिरधारी.

24 नवम्बर 2015
4
0

परी - - - - - - -

24 नवम्बर 2015
3
1

🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁----------परी --------कहानी एक तुम्हें सुनाऊँ। ध्यान लगाकर सुनना। गुड़िया एक नन्ही सी। इस धरती पर जन्मी। नन्हीं की आँखों में भी थे कुछ स्वप्न सुनहरे। दीपों का त्यौहार दीवाली। मन उसके बहुत भाता था। कपड़े मिठाई दीप फुलझड़ी वो सब लेना चाहती थी। दादी से बोली वो इक दिन। मैं भी दादी

परी - - - - - - -

24 नवम्बर 2015
2
0

🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁----------परी --------कहानी एक तुम्हें सुनाऊँ। ध्यान लगाकर सुनना। गुड़िया एक नन्ही सी। इस धरती पर जन्मी। नन्हीं की आँखों में भी थे कुछ स्वप्न सुनहरे। दीपों का त्यौहार दीवाली। मन उसके बहुत भाता था। कपड़े मिठाई दीप फुलझड़ी वो सब लेना चाहती थी। दादी से बोली वो इक दिन। मैं भी दादी

परी - - - - - - -

24 नवम्बर 2015
3
1

🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁----------परी --------कहानी एक तुम्हें सुनाऊँ। ध्यान लगाकर सुनना। गुड़िया एक नन्ही सी। इस धरती पर जन्मी। नन्हीं की आँखों में भी थे कुछ स्वप्न सुनहरे। दीपों का त्यौहार दीवाली। मन उसके बहुत भाता था। कपड़े मिठाई दीप फुलझड़ी वो सब लेना चाहती थी। दादी से बोली वो इक दिन। मैं भी दादी

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए