ब्रेन हमारे शरीर का सबसे महत्व पूर्ण हिस्सा है। इसके लिए हमारी थोड़ी सी लापरवाही भी हमारे लिए खतरा बन सकती हैं। थोड़ी सी लापरवाही भी ब्रेन कैंसर या फिर इसी तरह की किसी दिमागी बीमारी के शिकार हो सकते हैं।
ब्रेन कैंसर- कारण, प्रकार, लक्षण, अवस्थाएं, आयुर्वेदिक इलाज
ब्रेन कैंसर होने का अर्थ है कि आपके दिमाग में ट्यूमर लगातार बढ़ रहा है। ट्यूमर यानी दिमाग में बहुत सारी कोशिकाओं का अनियंत्रित होना। ब्रेन सेल्स का ख्याल रखना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है दिमाग को आराम देना। हाल ही में आए एक सर्वे के मुताबिक, भारत में लगभग 50 मिलियन लोग अपनी लावरवाही के कारण अपने नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं। एक सामान्य व्यक्ति में लगभग 100,000,000,000 ब्रेन सेल्स पाए जाते हैं। हालांकि ये भारी मात्रा में होते हैं लेकिन यदि हम अपना प्रतिदिन ध्यान ना रखें तो इसका नुकसान इन ब्रेन सेल्स को भी होता है।
ब्रेन कैंसर होने के कारण
ब्रेन कैंसर होने के बहुत से कारण है। लेकिन सवाल ये उठता है कि ब्रेन कैंसर की शुरूआत कैसे होती है। ब्रेन कैंसर किन्ही कारणों से हो सकता है। हाल ही में आए एक सर्वे के मुताबिक, भारत में लगभग 50 मिलियन लोग अपनी लावरवाही के कारण अपने नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं। ब्रेन में अनियंत्रित कोशिकाएं ब्रेन सेल्स के आसपास तेजी से फैलती है जो कि कैंसर का रूप धारण करती रहती हैं। ब्रेन कैंसर में बिनाइन और मेलगनेंट जैसे अन्य दो ट्यूमर होते हैं। यह ट्यूमर व्यक्ति के दिमाग पर गहरा असर डालते हैं। एक ओर जहां बिनाइन ट्यूमर व्यक्ति के दिमाग पर दबाव डालता है। वहीं दूसरी ओर मेलगनेंट कैंसर लोगों के लिए बेहद खतरनाक है। लेकिन डॉक्टर्स का यह भी कहतना है कि अगर समय रहते मरीज का सही इलाज किया जाए तो ट्यूमर से बचा जा सकता है। मोबाइल फोन भी ब्रेन कैंसर का कारण हो सकते हैं।
ब्रेन कैंसर के प्रकार
- प्राइमरी ब्रेन कैंसर- सिर्फ ब्रेन के उसी हिस्से में बढ़ता है, जिसमें शुरू होता है।
- सेकंडरी ब्रेन कैंसर- ये शुरुआत ब्रेन एक हिस्से में होती है लेकिन बाद में यह शरीर के दूसरे हिस्से जैसे- फेफड़े, ब्रेस्ट, किडनी, स्किन आदि में फैलने लगता है।
- ब्रेन कैंसर के लक्षण
- सिरदर्द- ब्रेन कैंसर की शुरूआत में सिर में तेज और लगातार दर्द का अहसास होता है। इसके बाद यह धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। इन बातों का पता लगते ही तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
- याददाश्त कमजोर होना- ब्रेन कैंसर के होने पर दिमाग के सोचने और समझने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। जिससे कि हमारी याददाश्त कमजोर हो जाती है और हम बातों को भूलने लगते हैं। शरीर के एक भाग में कमजोरी महसूस करना या फिर चेहरे के कुछ भाग में कमजोरी का अहसास होना ब्रेन कैंसर का कारण हो सकता है।
- उल्टी आना- इतना तेज दर्द कि सहन न कर पाना और इसके साथ ही उल्टी आना भी ब्रेन कैंसर का शुरुआती लक्षण है।
- शरीर के एक भाग में कमज़ोरी- शरीर के एक भाग में कमजोरी महसूस करना या फिर चेहरे के कुछ भाग में कमजोरी का अहसास होना ब्रेन कैंसर का कारण हो सकता है।
- देखने-सुनने-बोलने में परेशानी - ब्रेन कैंसर होने पर देखने में भी परेशानी होने लगती है। अगर धुंधला दिखाई दें और रंगों को पहचानने में परेशानी हो तो समझ लेना चाहिए कि यह ब्रेन कैंसर के शुरुआत है। इसके अलावा ब्रेन कैंसर होने पर सुनने में समस्या होती है। जिन लोगों को ब्रेन के टैंपोरल लोब में कैंसर होता है, उनके सुनने की क्षमता कमजोर होनी शुरू हो जाती है। वहीं, जब बात करने में परेशानी आने लगे तो यह ब्रेन कैंसर के लक्षण हो सकता है।
ब्रेन कैंसर की अवस्थाएं
- स्टेज 1- ब्रेन कैंसर की वह नार्मल स्थिति होती है जिसकी रोकथाम आसानी से की जा सकती है। इस स्थिति में कोशिकाओं का विकास बहुत धीरे होता है। टयूमर दिमाग से शरीर के दूसरे हिस्से में नहीं फैलता है। इस स्टेज को आसानी से सर्जरी के जरिए स्कल को खोलकर टयूमर को हटाया जा सकता है। कीमोथेरेपी ओर रेडिएशन थेरेपी के जरिए भी इस स्टेज का इलाज किया जा सकता है।
- स्टेज 2- ब्रेन कैंसर की इस स्थिति में घातक ब्रेन सेल्स के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगते हैं। अगर इसका निदान नहीं किया गया तो टूयमर बढने लगता है और घातक साबित हो सकता है। कीमोथेरेपी के जरिए इस अवस्था का इलाज संभव है।
- स्टेज 3- ब्रेन कैंसर की इस स्थिति में टयूमर परिपक्व होकर आक्रामक हो जाता है। घातक कैंसर सेल्स तेजी से फैलकर शरीर के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। दिमाग को शरीर के अन्य संकेतों को पहचानने में दिक्कत होने लगती है। आदमी को शरीर का संतुलन बनाने में दिक्कत होने लगती है। बुखार और उल्टी लगातार होने लगती है। रेडिएशन थेरेपी के जरिए इस स्टेज का इलाज कुछ हद तक संभव है।
ब्रेन कैंसर के आयुर्वेदिक इलाज
प्राचीन औषधीय ज्ञान के लाभों के साथ, आयुर्वेद उपचार प्रदान करता है, जो बिना किसी दुष्प्रभाव के रोगों को ठीक करता है। प्राकृतिक, हर्बल उपचारों से आपकी प्रतिरक्षा में सुधार होता है; अपनी शारीरिक शक्ति और अपनी इच्छा शक्ति को बढ़ाएं। यह असामान्य कोशिका वृद्धि को भी रोकता है और सामान्य उत्थान में मदद करता है। सबसे विश्वसनीय आयुर्वेदिक उपचारों में से कुछ नीचे दिए गए हैं।
- अश्वगंधा- अश्वगंधा जड़ी बूटी में आकर्षक हीलिंग गुण होते हैं। वे आपके शरीर में ताकत और प्रतिरक्षा को बहाल करने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यह विरोधी भड़काऊ गुणों के साथ संपन्न है और फायदेमंद एंटी-ऑक्सीडेंट है। यह आवश्यक पोषक तत्वों को पूरक करता है, जो मस्तिष्क के कार्यों को बेहतर बनाता है और हानिकारक विकिरण के कारण होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम करता है।
- करक्यूमिन- करक्यूमिन को आपके शरीर से घातक कोशिकाओं को विघटित करने के लिए जाना जाता है। यह न केवल एक महान एंटी-ऑक्सीडेंट है, बल्कि प्रतिरक्षा में भी सुधार करता है। यह ब्रेन ट्यूमर के इलाज के रूप में भी लोकप्रियता हासिल कर चुका है।
- गुग्गुल- गुग्गुल क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने और अच्छे स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए जाना जाता है। यह शरीर के ऑक्सीकरण क्षमता को बढ़ाता है और ब्रेन ट्यूमर से उबरने में तेजी लाता है।
- तुलसी का पौधा- तुलसी का पौधा कितना अनमोल है, यह इसी बात से पता चल जाता है कि इसे गुणों को देखकर इसे भगवान की तरह पूजा जाता है। आर्युवेद में बताया गया है कि तुलसी की पत्तियों के रोजाना प्रयोग से केंसर से लड़ा जा सकता है। और इसके लगातार प्रयोग से केंसर खत्म भी हो सकता हैं।