कम वजन वाले नवजात बच्चे को खास देखभाल की जरूरत होती है।
सेहतमंद बच्चे की चाहत हर पेरेंट्स को होती है। पर, कई बार समय से पूर्व प्रसव होने के कारण बच्चे की सेहत को लेकर चिंता बढ़ जाती है। अगर आपने या आपके किसी नजदीकी महिला ने प्री-मेच्योर बच्चे को जन्म दिया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। थोड़ी-सी सावधानी बरत कर और डॉक्टर के संपर्क में रहकर आप अपने बच्चे को भी सेहतमंद बना सकती हैं।
आमतौर पर जन्म के समय सामान्य बच्चे का वजन ढाई किलो से लेकर साढ़े तीन किलो तक होता है, लेकिनप्री-मेच्योर बच्चे का वजन दो किलो या उससे कम भी हो सकता है। ऐसे बच्चे को डॉक्टर की निगरानी और विशेष देखभाल की जरूरत होती है। जन्म के बाद जब बच्चे का सही विकास सही तरीके से होता है तो उसका वजन भी बढ़ने लगता है। वजन बढ़ना ग्रोथ की तरफ इशारा करता है।
कम वजन वाले बच्चे को खास देखभाल की जरूरत होती है, क्योंकि ऐसे बच्चे की रोग प्रतिरोधी क्षमता बहुत कम होती है। कमजोर रोग प्रतिरोधी क्षमता के कारण उन्हें अलग-अलग तरह की संक्रामक बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। अगर बच्चा किसी संक्रामक बीमारी से ग्रसित हो जाये तो स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है। बच्चे के वजन में कब बदलाव आता है। बच्चे के वजन में अचानक से बदलाव आने के पीछे कई कारण होते हैं।
अगर बच्चे का वजन अचानक से कम हो गया है तो आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना जरुरी होता है।
• बच्चे की नींद और सामान्य की तुलना में कम बारी फीड कराना।
• मां और बच्चे दोनों का बीमार हो जाना।
• मां की डाइट का स्वस्थ ना होने की वजह से ब्रेस्टफीडिंग कम हो जाना।
• अगर आप दोबारा से प्रेग्नेंटहै या गर्भनिरोध गोलियों का सेवन कर रही हो ।
• यह समस्याएं बच्चे के वजन कम होने का कारण होता है। बच्चे की सही तरीके से देखभाल करके उसके वजन को संतुलित किया जा सकता है।
बच्चे का वजन बढाने के लिए रखे इन बातो का खास ख्याल :-
• बच्चे के समुचित विकास के लिए जन्म के 6 महीनेतक मां का दूध बेहद जरूरी है, लेकिन कम वजन वाले बच्चे को मां का दूध पीने में परेशानी होती है। डॉक्टरों का मानना है कि अगर आपके बच्चे का वजन डेढ़ किलो से ज्यादा है, तो आप कोशिश करें कि वह मां का दूध पिए। इसके लिए आपको थोड़ा धैर्य रखना होगा। बच्चे को बार-बार अपना दूध पिलाने की कोशिश करनी होगी। एक बार बच्चा जब दूध पीना सीख जाएगा तो वो आसानी से दूध पीने लगेगा।
• अगर बच्चा आपकी सारी कोशिशों के बावजूद ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कर रहा है, तो मां के दूध को अच्छी तरह से साफ किए और उबले कप में निकालकर बच्चे को चम्मच या रुई की सहायता से पिलाएं। अगर चम्मच से दूध पिलाने में दिक्कत हो रही है, तो बच्चे को दूध पिलाने के लिए खासतौर से प्री मेच्योर बच्चों के लिए बनी फीडिंग बोतल का इस्तेमाल करें। जब तक बच्चे का वजन सामान्य न हो जाए, उसे हर दो घंटे में दूध पिलाती रहें।
• जन्म के बाद बच्चे को मां के संपर्क में रखा जाए। मां की त्वचा के स्पर्श से बच्चे के शरीर का तापमान संतुलित रहेगा।
• नवजात बच्चे और मां दोनों को मौसम के अनुकूल कपड़े से ढककर रखा जाए। इसके लिए गर्मियों में सूती और सर्दियों में ऊनी कपड़ों का इस्तेमाल करें।
• बच्चे को ऐसे कमरे में ना रखें जहां खिड़कियां और दरवाजे खुले हों।
• जिस कमरे में बच्चे को रखा जाए, वह गर्म होना चाहिए।
• बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चे को नहलाएं नहीं।
• इस बात का खासतौर पर ध्यान रखें कि बच्चे का सिर ढका हो।
• बच्चे को बिना कपड़ों के थोड़ी देर भी न रखें।