छत्रसाल के समय से बुन्देलखण्ड को "इत जमुना उत नर्मदा, इत चम्बल उत टोंस" से जाना जाता है। साथ ही बुन्देलखण्ड की बुंदेली भाषा का भी अपना अलग ही महत्त्व है। बुंदेली भाषा भारत के एक विशेष क्षेत्र बुन्देलखण्ड में बोली जाती है। यह कहना बहुत कठिन है कि बुंदेली कितनी पुरानी बोली हैं लेकिन ठेठ बुंदेली के शब्द अनूठे हैं जो सदियों से आज तक प्रयोग में आ रहे हैं। जिस प्रकार से अलंकार काव्य के सौन्दर्य को बढ़ा देता है उसी प्रकार कहावतों का प्रयोग भाषा के सौन्दर्य को बढ़ा देता है। बोलचाल की भाषा में कहावतों के प्रयोग से वक्ता के कथन के प्रभाव में वृद्धि होती है और साहित्यिक भाषा में कहावतों के प्रयोग से साहित्य की श्रीवृद्धि होती है। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है ये संकलन भी बुंदेली बोलने वालों के लिए सहायक सिद्ध होगा। सेवा में, संकलानकर्ता
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