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बुन्देली कहावतें

3 मार्च 2022

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                      बुन्देली कहावतें

११. बेरा मुंश घर में घुंस, कछु केत कछु सुन्त।
अर्थ– बहरे व्यक्ति से कुछ कहो तो कुछ सुनता है।
१२. फटो पजामा, जय सिया रामा।
अर्थ– तंगी में समय गुजारना।
१३. तुर्त मार, झोली में डार।
अर्थ– अभी का काम अभी करना।
१४. कांख में लरका, गांव में टेर।
अर्थ– घर की वस्तु बाहर ढूंढना।
१५. भरी गाड़ी में सूपा भारी नई होत।
अर्थ– ज्यादा वजन में छोटा सा टुकड़ा भारी नही होता।
१६. पत्ता पे कुलाट लेत।
अर्थ– वायदे से मुकर जाना।
१७. घरई के कुरवा से आंख फूटत है।
अर्थ– विश्वासी से धोखा मिलना।
१८. मोईरी बिलईज्जा मोई से मिआऊं।
अर्थ– एहसान न मानना।
१९. जाने ने साने गींज केँ ने खांय, ऊपर खों मो करें मई
       खां चिल्लाएं।
अर्थ– किसी बात को बिना समझे चिल्लाना।
२०. हगें रहें होम खां मारे जाएं।
अर्थ– अयोग्य का किसी काम को करने की जिद करना।

भारती

भारती

बहुत खूब 👏👏👏👏 मेरी बिल्लइया मोसे ही म्याऊँ का मतलब हमने ही तुम्हें सिखाया और तुम हमें ही ज्ञान दे रहे हो।

3 मार्च 2022

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बुन्देली कहावतें
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छत्रसाल के समय से बुन्देलखण्ड को "इत जमुना उत नर्मदा, इत चम्बल उत टोंस" से जाना जाता है। साथ ही बुन्देलखण्ड की बुंदेली भाषा का भी अपना अलग ही महत्त्व है। बुंदेली भाषा भारत के एक विशेष क्षेत्र बुन्देलखण्ड में बोली जाती है। यह कहना बहुत कठिन है कि बुंदेली कितनी पुरानी बोली हैं लेकिन ठेठ बुंदेली के शब्द अनूठे हैं जो सदियों से आज तक प्रयोग में आ रहे हैं। जिस प्रकार से अलंकार काव्य के सौन्दर्य को बढ़ा देता है उसी प्रकार कहावतों का प्रयोग भाषा के सौन्दर्य को बढ़ा देता है। बोलचाल की भाषा में कहावतों के प्रयोग से वक्ता के कथन के प्रभाव में वृद्धि होती है और साहित्यिक भाषा में कहावतों के प्रयोग से साहित्य की श्रीवृद्धि होती है। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है ये संकलन भी बुंदेली बोलने वालों के लिए सहायक सिद्ध होगा। सेवा में, संकलानकर्ता

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