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चौकड़िया

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बुंदेली चौकडि़या-"पानी"     *****बिकबै, दूध भाव से पानी, नशलें नयी नशानी।।गैया कौ बौ दूध बताबै, करत सदां बेमानी।।पानी दैकै हाथ बना रय,चतुर बढ़े रमजानी।।आय मिलौनी, कहै निपनिया,भ

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