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Rana lidhori

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बुंदेली चौकडि़या-"पानी"     *****बिकबै, दूध भाव से पानी, नशलें नयी नशानी।।गैया कौ बौ दूध बताबै, करत सदां बेमानी।।पानी दैकै हाथ बना रय,चतुर बढ़े रमजानी।।आय मिलौनी, कहै निपनिया,भ

*ग़ज़ल-रुला देते हैं*इस तरह लोग मोहब्बत में दगा देते हैं।दिल को तड़पाते है और रुला देते हैं।।वोट की खातिर गधों को भी मना लेते हैं।जीत के बाद ही जनता को भुला देते हैं।।वो तो हैवां हैं जो इंसां की मदद क

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