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कुछ तो प्रकृति बोलती है...

3 अगस्त 2022

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कुछ तो प्रकृति बोलती है...

•लहरों की तेज धारा से आकर,
हमें भी प्रेरित करता है,
समुद्र भी कुछ कहता है

• समीर भी झोंको से आ कर 
अपने पैरों को फैलाओं ,
नील गगन में तुम उङ जाओ,
ऐसा ही कुछ कहता है,

•खग-विहग चीं-चीं करते,
अपने कर्मों में लग जाओ ,
सुबह हो गई अब तो जाग जाओ
ऐसा ही कुछ कहता है,

•चींटी उठती-गिरती , उठती कभी ना हारिए हिम्मत , ऐसा ही कुछ बोलती है, 

•पर्वत अटल है, कैसी भी परिस्थिति है,
ना हो हताश , ना रुको , कदापि दुखी मत हो,
ये तो जिंदगी की कसौटी है,
ऐसा ही कुछ कहता है,

•कमल भी खिल कर मुस्काता है,
जब कीचड़ (संघर्ष) से बाहर आता है,
खिलना है तो संघर्ष करो ,
ऐसा ही कुछ कहता है।
-नेहा खत्रीarticle-image

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Dinesh Dubey

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बहुत सुन्दर

5 अगस्त 2022

Neha Khatri

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5 अगस्त 2022

शुक्रिया 😊🙏

4 अगस्त 2022

Neha Khatri

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5 अगस्त 2022

शुक्रिया 🙏😊

कविता रावत

कविता रावत

आपकी बहुत सुन्दर रचना पढ़कर अनायास ही डा. अश्विनी कुमार सेतिया जी कविता 'धरा कुछ कहती है ' की याद आने लगी, जिसमें उन्होंने लिखा कि- सुनाई देते हैं तुम्हें केवल रुदन और क्रंदन । प्रयत्न करो, सुनेंगे पुल्कित मन के स्पंदन ।। परिस्थितियाँ नहीं रहती एक सी कभी । अच्छी कहीं, बुरी कहीं, गलत कभी, सही कभी ।।

3 अगस्त 2022

Neha Khatri

Neha Khatri

3 अगस्त 2022

शुक्रिया मैम 🙏🙏😊💞

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