3 अगस्त 2022
आपकी बहुत सुन्दर रचना पढ़कर अनायास ही डा. अश्विनी कुमार सेतिया जी कविता 'धरा कुछ कहती है ' की याद आने लगी, जिसमें उन्होंने लिखा कि- सुनाई देते हैं तुम्हें केवल रुदन और क्रंदन । प्रयत्न करो, सुनेंगे पुल्कित मन के स्पंदन ।। परिस्थितियाँ नहीं रहती एक सी कभी । अच्छी कहीं, बुरी कहीं, गलत कभी, सही कभी ।।
3 अगस्त 2022