जीवन चलते रहने का नाम है . चौरासी लाख योनियों में चलते चलते हम मानव बने हैं . जो चलता नहीं वह चलायमान हो जाता है . कुछ चलते नहीं चलते हैं . कुछ की जबान चलती है वे वाचाल कहे जाते हैं . मशीन भी न चले तो बेकार हम तो इंसान हैं. पर आज संसद नहीं चलती, स्च्होल नहीं चलते, अस्पताल नहीं चलते हाँ खराब सिक्के चलते हैं. हम किस युग में जी रहे हैं .