"चलते जाना"
अज़ीज़ दोस्तों , मंज़िल हासिल करने के लिए रास्ते तय करने पड़ते हैं।यही जिंदगी का फ़लसफ़ा है आगे कविता में पढ़िए:-चलते ही देखा है तुमको,और कहाँ तक चलते जाना ।बोलो,बोलो कुछ तो बोलो ,"पथिक"तुम्हारा कहाँ ठिकाना।।1.जब से शुरू हुयी है यात्रा,कितने अवरोधक आये ।कितने राह दिखाने वाले,कितने प्रतिशोधक आये।।प