भारत को सतरंगी सपने दिखाने वाले महामानव डा.कलाम को खुदा ने जन्नत में तलब कर लिया ।भारतीयों के कुछ ख़्वाब पूरे हुए किन्तु कुछ अधूरे रह गए ।परसों डा.
कलाम की ओम -ए-पैदाइश थी। भारतवासियों ने बड़ी शिद्दत के साथ उन्हें याद किया और फिर से भारत आने के लिए
खुदा से कुछ इस तरह गुजारिश करते है :-
ऐ खुदा तेरी ज़न्नत मुबारक तुझे,
फिर से भारत को उसका कलाम दे दे ।
वह जहां इस समय तू तो सब जानता ,
पूरे भारत का उनको सलाम दे दे ।।
1.
रोज सूरज सवेरे सजाता है रथ ,
ढूँढने पहले आता हैअरुणाचलं।
सारे भारत में उनका लगाता पता,
धीरे धीरे पहुंचता है रामेश्वरम ।।
शाम को जाने लगता है ग़मगीन हो ,
फिर सेआनेका उसको पयाम दे दे।
।..वह जहां इस समय तू तो सब जानता ,
पूरे भारत का उनको सलाम दे दे ।।
2.
चाँद भी कितना विह्वल है उनके बिना ,
ढूंढता रात भर उनको आकाश में।
इन सितारों की खामोशी करती बयाँ,
है उदासी भरी उनकी हर सांस में
।
उनकी शोहरत की खुशबू हवावों में है ,
सब दिशाओं को ऐसा पयाम दे दे ।
।..वह जहां इस समय तू तो सब जानता ,
पूरे भारत का उनको सलाम दे दे ।।
3.
होता महसूस हरदम फ़िज़ाओं में हैं ,
बालमन में,युवा कल्पनाओं में हैं।
कर रहे कुछ परीक्षण हैं 'स्पेस'में,
ख़्वाब पूरे करेंगे किसी वेष में।।
हो रही है क़ुबूल इल्तिज़ा-ए-"पथिक",
बस छोटा सा इतना पैग़ाम दे दे ।
।..वह जहां इस समय तू तो सब जानता ,
पूरे भारत का उनको सलाम दे दे।
।.फिर से भारत को उसका ,कलाम,दे दे।
।.......कलाम दे दे।।
***शब्दनगरी के मेरे अज़ीज़ भाइयो/बहनों,
आप सभी से गुजारिस है की आप भी डा.कलाम को अपना सलाम भेजते रहें और खुदा से उन जैसी सख्शियत को जन्नत के बजाय देवभूमि भारत भेजने की।पुरजोर गुजारिश भी करतेंरहें।
***जयहिंद।