*****अंक10*****
.......पंडित नंदकिशोर त्रिवेदी जी हायर सेकेण्डरी एजूकेसन के दौरान हिंदी के प्रवक्ता थे ।विषय को रोचक बनाने में छोटे छोटे किस्से कहानियाँ उनके व्याख्यान को उत्कृष्ट स्वरुप में ढाल देते थे।वह रोचक के साथ शिक्षाप्रद तो होते ही थे,उनपर अमल करने से समाज काकायाकल्प भी होता था।
😢।..वह किस्सा आज भी ज़ेहन में गुंजायमान होता रहता है ,जब पुराने जी.टी.रोड पर इलाहाबाद से बनारस जाते समय उसजमाने में काफी सुनसान इलाके में स्थित 'बैरागिया नाले 'पर महज़ ३ लुटेरों के गिरोह द्वारा कत्थक डांस पॉर्टी के ९ सदस्यों को बंधक बनाकर पूरी रात नचाते रहने का रोचक किस्सा त्रिवेदीजी ने सुनाना शुरू किया ।
कत्थक पार्टी जिस कार्यक्रम में बंधपत्र के अनुसार अन्यत्र प्रोग्राम केप्रदर्शन के लिए जाना चाह रही थी,नहीं पहुँच पाई ।लुटेरे ३ ही थे किन्तु कत्थक पार्टी के ९ सदस्य उनके सामने लाचार-बेज़ार थे ।मरता क्या न करता ,बेमन भी नाचना गाना जारी रखा,किन्तु लुटेरों के चंगुल से मुक्त कैसे हों ,मन ही मन छटपटाहट और मंथन जारी था।
****अचानक हार्मोनियंबादक को एक युक्ति सूझी ।उस युक्ति का राग उसने हारमोनियम पर छेड़ा,सारंगीबादक ने भी बही राग निकालना शुरू किया ।राग था "बैरगिया नाला जुलुम जोर , ९ कथिक नचावैं तीन चोर ।
जब तबला बाजे धीन धीन,तब एक एक पर तीन तीन ।।
****और जब यह राग पूरीपार्टी के ज़ेहन में समा गया तब उन्होंने सङ्गठित होकर लुटेरों पर हमला बोल दिया,एक एक लुटेरे पर तीन तीन कत्थक सवार थे । किन्तु यह देर से उठाया गया कदम था जिसके कारण कत्थकपार्टी का टारगेट उसे हासिल नहीं हो पाया था ।प्रोग्राम छूट गया था ।
*****भारत की जनसंख्या अब एक अरब तीस करॉड को भी पार कर चुकी है ।इसमें अनाचार, अत्याचार,हत्या,लूट ,छिनैती ,फिरौती ,गुंडागर्दी ,बलात्कार ,धोखाधड़ी ,भ्रष्टाचार,महिलाओं के प्रति हिंसा आदि समाजविरोधी क्रिया कलापों में लिप्त रहने वालों और अच्छे संस्कारयुक्त नागरिकों काअनुपात क्रमशः लुटेरों और कथकों के अनुपात के आस पास ही होगा किन्तु वही बेबसी क्यों नज़र आ रही है ?
****क्या आपने कभी गौर से सुनने का प्रयास किया की आज भी नेपथ्य में वही राग गुंजायमान हो रहा है....."जब तबला बाजे धीन धीन ,तब एक एक पर तीन तीन ।"
******तब फिर !सोचिये ,समझिये और अमल करिये।।वक़्त चलायमान है,चल रहा है,यह लौटता नहीं ,ठहरता भी नहीं ,ठहरती है तो सिर्फ देश की संसद ।
***शुक्रिया दोस्तों