Chanchal Audichya
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लाश
वो मासूम बच्ची ठिठुरती ठंड मे लाश से लिपटकर कब्रिस्तान मे सो जाती है क्योकि लाश ना हिलती है ना ठुलती है ना ही करवट ही बदलती है बस सुकून की नींद मिलती है लाश की गोद मे ।खामोश लाश पे खामोश नींद मे गुम हो जाती है वो मासूम बच्ची, क्योकि उसका बाप लाश ठोन
लाश
वो मासूम बच्ची ठिठुरती ठंड मे लाश से लिपटकर कब्रिस्तान मे सो जाती है क्योकि लाश ना हिलती है ना ठुलती है ना ही करवट ही बदलती है बस सुकून की नींद मिलती है लाश की गोद मे ।खामोश लाश पे खामोश नींद मे गुम हो जाती है वो मासूम बच्ची, क्योकि उसका बाप लाश ठोन