*अच्छे दिन दिवस हम भूल जाते हैं*
दिवस मनाने में दिवस भूल जाते है ,
औरों को समझाने में ,
अपना कर्तव्य भूल जाते है,
दोष देते हैं दुनिया को,
जब अपनी बारी आती है,
अपना दोष भूल जाते हैं।
ये गलत है वो गलत है,
चर्चा करने में दिन गुजर जाते हैं,
हम कितना गलत है कितना सही है,
यह समझना भूल जाते हैं।
देश की हालत बड़ी निराली है,
पिछली सरकार की कमियां बताने में,
अपनी सरकार के कर्म भूल जाते हैं।
वास्तव में भ्रष्टाचार तो हर जगह है,
रिश्वत का बाजार तो हर जगह है,
सरकार की तारीफ करने में ,
भ्रष्टाचार दूर करने का उपाय भूल जाते हैं,
बुरे दिनों के प्रभाव से ,
अत्याचारी भ्रष्टाचारी के दबाव से,
अच्छे दिनों के आने का दिवस,
अच्छे दिन दिवस हम भूल जाते हैं।
जय हिन्द !
सुनील कुमार 'सरदासपुरी'
ग्राम +पोस्ट- सरदारपुर
रसड़ा -बलिया( यूपी)