*तभी तो पत्रकार चौथा स्तम्भ कहलाता है*
जैसे पुलिस अपराधी को घर से उठाती है,
भागते हुए पकड़ा है ये बात बताती है,
वैसे ही पत्रकार कलम चलाता है,
पुलिस की हां में हां मिलाता है,
बात बिगड़ जाए तो...!
अपनी कलम से कमियां ही कमियां बताता है,
महान पत्रकारों की उपमा देकर,
अपनी कलम को बेचकर,
सही को गलत गलत को सही बताता है,
भाषा का ज्ञान भले ही हो,
लिखने का ढंग भले ही हो,
पर कभी-कभी लोभ में आकर,
तो कभी द्वेष भाव से उल्टी-सीधी बात लिख जाता है,
हां यह बात सत्य है,
पत्रकार समाज का आईना होता है,
समाज को नई दिशा देने का काम करता है,
तभी तो पत्रकार देश का चौथा स्तम्भ कहलाता है,
कभी-कभी पत्रकार चरित्रहीनता का दाग लेकर,
चारसौबीसी का कलंक लगाकर,
पत्रकार होने का रोब जमा कर,
खुद महान बन जाता है,
भले ही सामने तो ना सही पर-
पीठ पीछे दलाल,बिकाऊ पत्रकार कहलाता है,
जब सही पत्रकार सही पथ पर कदम बढ़ाता है,
क्रांतिकारी लेखनी से समाज को नई दिशा दे जाता है,
वही पत्रकार समाज के पूजनीय हो जाता है,
सरदारपुरी हर लिखने वाले का सम्मान करते हैं,
ज्ञान का दुरुपयोग करने वाले से दूरी,
अच्छे लेखकों को सुनील प्रणाम करते हैं।
*सुनील कुमार 'सरदासपुरी'*
ग्राम+पोस्ट-सरदासपुर(रसडा़)
जिला-बलिया(यू.पी.)