*शुद्ध विचारों के भारत बनाने की *
रावण हर साल मारा जाता है,
हर साल विजय दिवस मनाया जाता है,
राम का हर साल राज्याभिषेक होता है,
ना राम राज्य रहता है,
न रावण मरता है ,
रावण भ्रष्टाचारियों के हृदय में,
विजयदशमी के दिन मरते ही प्रवेश कर जाता है,
और जन्म होता है ,
अत्याचारी भ्रष्टाचारी,व्यभिचारी का,
घोटालेबाज दलाल,उत्पाती का,
रामराज्य का सपना,
सपना रह जाता है ,
सदाचार शुद्ध विचार का लोप होता है ,
यह सब देखने के बाद यह महसूस होता है,
कहने को दिखाया जाता है रामलीला,
रावण के बारे मे विस्तार से बताया जाता है,
रावण का पुतला सबसे बड़ा बनाया जाता है,
इसीलिए देश में रावण के विचारों का विस्तार होता है।
हमारा देश लोकतांत्रिक है,
हमारे देश में अनेक धर्मों के लोग रहते हैं,
अनेक धर्मों में रावण के जैसे लोग विराजमान हैं।
जरूरत है राम के विचारों को आत्मसात करने की,
शुद्ध विचारों के भारत बनाने की।
जय हिंद!
सुनील कुमार 'सरदासपुरी '
ग्राम+पोस्ट-सरदासपुर
रसडा़-बलिया( यू पी)