सरकार ने जब सोचा क्यों उन पांचों भाइयों की संपत्ति पर कब्जे में कैसे कर पाऊंगा तो उसने वृकुटी को बुलाया और अपने पास उसे नौकर बना कर रख लिया कुछ समय बीतने पर उसने अपने मन में मनगढ़ंत कहानियां बनाना शुरू की और उस वृकुटी से बोला कि बेटा क्या तू मेरे यहां काम करता है उसने कहा नहीं आप मेरे यहां काम करते हो वृकुटी का तो काम ही ऐसा था क्यों से जो भी कोई पूछता उसका ठीक उल्टा जवाब देता था एक समय की बात है उस वृकुटी से चिरकाल ने कहा कि बेटा यह पत्र लो और इसे ले जाकर धैर्य को देना और यह पत्र लो यह ले जाकर पवन को देना वह दोनों पत्र लेकर धैर्य और पवन के पास गया दोनों को पत्र दिए अलग-अलग जाकर और वहां से वह चला गया जब धैर्य ने वह पत्र पढ़ा तो उसके पैरों के नीचे धरती खिसक गई वह सोचने लगा कि मेरा भाई ऐसा कैसे कर सकता है उस पत्र में लिखा हुआ था कि भाई बहुत दिन हो गए आप ही की में बात करता हूं आप ही की सुनता हूं आप जो कहते हो वही करता हूं लेकिन अब मेरे से यह काम नहीं होगा और मैं आप से अलग होना चाहता हूं वही पत्र जब पवन ने पढ़ा तो उसमें लिखा हुआ था कहे पवन मेरा नाम पर है मैं तेरा बड़ा भाई बेशक हूं लेकिन तू आराम से बैठा बैठा खाता है और मैं कार्य करता हूं सारा दिन मेरा माइंड बिजनेस में रहता है अब मैं तुझे बैठे-बैठे नहीं खिला सकता तू मेरे से अलग हो जा जब दोनों पत्र दोनों भाइयों को मिले अब तो दोनों के पसीने छूट ना शुरू हुए दोनों सोचने लगे कि मेरे भाई ऐसा कैसे कर सकते हैं और वह भी इस पागल के हाथों में जो आया कुछ ना कुछ तो चाल है इसमें स्वयं ना आ सके दोनों भाई आपस में विचार कर रहे हैं कि अब कैसे छुटकारा मिले