मेरे बहुत से दोस्त है, कुछ लंगोटिया यार मतलब बचपन के दोस्त , कुछ स्कूल फ्रेंड , और कुछ कॉलेज फ्रेंड.
इन्हीं कि तरह एक वर्ग है जो है मेरे कॉफी फ्रेंड.
कॉफी का और हम दोस्तों का ऐसा कनेक्शन है कि जैसे किसी मरीज का उसके दवाई से हो.
मतलब जब मैं और मेरे दोस्त रवि और दिपक, हम जब भी कॉलेज जाते है तो सबसे पहले हम कॉलेज की कॅंटिंग मे जाकर कॉफी पीते है, गप्पे लडाते है.
और हमारी बाते लगभग एक डेढ़ घंटे तक चलती है, हमारी बातें सुनकर हमारे आजू बाजू बैठे लडके भी हमारे बातों में जुड जाते है. वो भी हमारे साथ बातें करने लगते है.
फिर हमारी इधर उधर की बातें शुरू हो जाती है.धीरे धीरे बातों में रंगत आ जाती है, और इसी बीच एक दूसरे के बारे में पुछताछ होती है, और फिर क्या उनसे दोस्ती हो जाती है. और इन्ही को मै कहता हूँ कॉफी फ्रेंड.
ऐसे ही मेरे बहुत से दोस्त बने हैं. और कुछ कुछ तो रोज मिलते , वो मेरे करीबी दोस्त बन गये है, जब मै कही जाता हूँ तो, कोई न कोई दोस्त मिल ही जाते है, और वो मुझे देखतेही पहचान लेते हैं. चाय कॉफी पिलाते है,और बहुत सी नयी पुरानी बातें करते हैं.