शर्मसार होती इंसानियत
जब आज का टैग मिला तो मैं समझ नहीं पाया की किस मुद्दे पर लिखा जाए. क्योंकि
'शर्मसार होती इंसानियत' इस विषय पर लिखने के लिए मुद्दों की कमी नहीं है , उलटा इस विषय पर लिखने के लिए इतने ज्यादा मुद्दे हैं कि उन्हें हम इस लेख में क्या एक पूरे के पूरे बडे ग्रंथ में भी बयां नहीं कर सकते.
जहाँ देखो वहाँ 'इंसानियत को शर्मसार करती घटनाएं घटी है, और आज भी घट रही है और न जाने कब तक ये घटती रहेगी.
इंसान को धरती का सबसे बुद्धिमान और दयालु जीव कहा जाता है लेकिन उन्ही में से कुछ इंसान ऐसे काम कर रहे हैं जिसे देखकर जानवरों की भी रूह काँप जाए . ये इंसान दिन ब दिन हैवान बनते जा रहे है.
उन्ही में से 'इंसानियत को शर्मसार करने वाले कुछ उदाहरण पर बात करें , तो जैसे हररोज हो रहे बलात्कार , बेरहमी से हो रही हत्याएं, चोरी, भ्रष्टाचार, गरीब लोगों पर हो रहें अत्याचार,जातीवाद, बूढ़े माता पिता के साथ लोगों का दूर व्यवहार. ऐसे बहुत सारे उदाहरण है जिससे इंसानियत शर्मसार हो रही है.
मैंने किसी अखबार में पढा था, जिसमें बाप द्वारा बेटी के साथ किये दुष्कर्म की ,और अपने सगे भाई द्वारा बहन पर किए गए कुकर्म की खबर छपकर आई थी. जिससेे इंसान को क्या ईश्वर को भी घिन आएगी.
शायद भगवान भी उसके द्वारा बनाये गए इंसान के ऐसे कर्म देखकर शर्मसार होता होगा.