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Dard

21 दिसम्बर 2021

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अपने ही दर्दो को अलफ़ाज़ दे के, अब लिखने और गुनगुनाने लगा हूँ मै।
सामने समंदर है जिस की गहराई का पता नहीं क्या सोच के कागज़ की कश्ती बनाने लगा हूँ मै।
अब लिखने और गुनगुनाने लगा हूँ मै........


ये उदासी तेरे आने से पहले, और वो उदासी तेरे जाने के बाद।
खो सा गया हूँ मै खुद को पाने के बाद।
शायद मेरे अलफ़ाज़ हर किसी को समझ आए नहीं इसलिए अब खुद को ही समझाने लगा हूँ मै।
अब लिखने और गुनगुनाने लगा हूँ मै........


खुली और बंद आँखों से जब भी देखा बस सपने ही आगोश मे थे...
कैसे मुंकिन था के हम मैखाने मे हो के भी होश मे थे....
एक ज़माने से रिश्तो की गाँठ को सुलझाने लगा हूँ मै।
अब लिखने और गुनगुनाने लगा हूँ मै........

हम बदनाम हो गए जमाने मै अपनी इश्क की बुरी आदत के लिए,
मोहब्बत संभाले बैठे है हम तेरी नफरत के लिए,
आज दिल को दिल के जख्म दिखाने लगा हूँ मै।
अब लिखने और गुनगुनाने लगा हूँ मै........



दिल को तेरी याद आये शायद जमाना हो गया,
ज़िन्दगी देने वाले तू कैलाश की की मौत का बहाना हो गया,
जाने क्यों इस ज़िन्दगी की पहेली को बुझाने लगा हूँ मै।
अब लिखने और गुनगुनाने लगा हूँ मै........
Papiya

Papiya

👍🏻👍🏻

21 दिसम्बर 2021

Kailash chander

Kailash chander

21 दिसम्बर 2021

धन्यवाद

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