थोड़ी हकीकत थोड़ा फसाना बाकी क्या है ज़िन्दगी।
थोड़ी ख़ुशी थोड़ी आंशुओ का बुलबुला है ज़िन्दगी।
थोड़ी हकीकत थोड़ा फसाना.........
कलम किस की, श्याही किस की, कौन किस्मत मेरी लिख गया।
आँखों में अश्क़, लबों पे शिकवे, एक अधूरी मन्नत लिख गया।
वफ़ा के बाजार में एक बेवफा है ज़िन्दगी।
थोड़ी हकीकत थोड़ा फसाना.........
एक पहर का इश्क लेके, एक पहर की नफरते,
एक पहर का आराम लेके, एक पहर की करवटे,
चाहे इस से दूर हो जा, चाहे इस के साथ चल ले,
सामने तेरे शतरंज पड़ी है, जो चाहे तू बिशात चल ले,
मुट्ठी खोल ले या बंद कर ले बस हवा है ज़िन्दगी।
थोड़ी हकीकत थोड़ा फसाना.........
मै ख़ुश हूँ उन की जीत से, उस खुश हमारी है हमारी हार से,
आज लब मेरे जा के टकरा बैठे, एक खुली तलवार से,
लाजमी था जख़्मी हो जाना लबों का ये उस की किस्मत ना थी,
मौत का मुनाफा मिलता है यहाँ, ज़िन्दगी के व्यापार से,
मै खुश हूँ ज़िन्दगी से पर मुझ से खफा है ज़िन्दगी।
थोड़ी हकीकत थोड़ा फसाना.........
कैलाश कैसी जिद है ये , लहरो पे आशियाने की,
किनारे पे बैठ के , ज़िद डूब जाने की,
कौन सा शौक पाल बैठा है ये दिल
खामोशियों मै शोर पाना, महफ़िल मै गुनगुनाने की,
ज़िन्दगी तेरे इर्द - गिर्द ही मुल्ताफा है ज़िन्दगी।
थोड़ी हकीकत थोड़ा फसाना.........