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Deepak bundela arymoulik के बारे में

मैं एक हिंदी लेखक हूं मेरा लेखन में पिछले 20सालों का फ़िल्म और टी वी सीरियल का रहा है साथ ही फ़िल्म डाइरेक्ट करने का अनुभव भी हैं वर्तमान में कोट्स और नॉवेल मेरे मातृभारती और प्रतिलिपि के साथ कुकू एफएम पर भी प्रकाशित हैं.

पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-01-29

Deepak bundela arymoulik की पुस्तकें

आओ चमचागिरी सीखें

आओ चमचागिरी सीखें

देश के सभी ऐसे हुनरमंदो तहे दिल से प्रणाम जो इस गुर में माहिर है.. वे सभी डिग्रीधारी हुनर मंद लोग जो इनके आगे पीछे भी घूमने से कतराते है आदमी जितना हिंसक और जहरीले जानवर से नहीं डरता जितना इन चमचों से डरता है... तो चलिए कुछ गुर आप भी सीख लीजिए शायद क

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2 रचनाएँ

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आओ चमचागिरी सीखें

आओ चमचागिरी सीखें

देश के सभी ऐसे हुनरमंदो तहे दिल से प्रणाम जो इस गुर में माहिर है.. वे सभी डिग्रीधारी हुनर मंद लोग जो इनके आगे पीछे भी घूमने से कतराते है आदमी जितना हिंसक और जहरीले जानवर से नहीं डरता जितना इन चमचों से डरता है... तो चलिए कुछ गुर आप भी सीख लीजिए शायद क

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इश्क़ दा वार 1992 (1)

इश्क़ दा वार 1992 (1)

स्कूल की ज़िन्दगी कितनी अच्छी होती है ना वहीं यदि स्कूल की लाइफ में किसी सें प्यार हो जाए तो क्या बात है.. ज़िन्दगी में कितना कुछ बदल सा जाता है.. ये कहानी 1992 के दशक की कहानी है जिसमे एक ही स्कुल में पढ़ने वाले मनु और अनु की कहानी है कहानी में प्यार क

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इश्क़ दा वार 1992 (1)

इश्क़ दा वार 1992 (1)

स्कूल की ज़िन्दगी कितनी अच्छी होती है ना वहीं यदि स्कूल की लाइफ में किसी सें प्यार हो जाए तो क्या बात है.. ज़िन्दगी में कितना कुछ बदल सा जाता है.. ये कहानी 1992 के दशक की कहानी है जिसमे एक ही स्कुल में पढ़ने वाले मनु और अनु की कहानी है कहानी में प्यार क

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अब लौट चलूं

अब लौट चलूं

समाज में एक औरत जो शादी शुदा होने के बाद भी इश्क़ में इसलिए पड़ जाती हैं कि उसे अपनी हसरतें, उमंगों की चाह को पूरा करना होता हैं यहीं हल इस कहानी की संध्या का हैं जो अपने प्रेमी के साथ नई ज़िन्दगी की शुरुआत करती हैं.. लेकिन वो 35 साल बाद फिर क्यों अपने

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अब लौट चलूं

अब लौट चलूं

समाज में एक औरत जो शादी शुदा होने के बाद भी इश्क़ में इसलिए पड़ जाती हैं कि उसे अपनी हसरतें, उमंगों की चाह को पूरा करना होता हैं यहीं हल इस कहानी की संध्या का हैं जो अपने प्रेमी के साथ नई ज़िन्दगी की शुरुआत करती हैं.. लेकिन वो 35 साल बाद फिर क्यों अपने

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इश्क़ में एक और मौत

इश्क़ में एक और मौत

इश्क़ का परिणाम किसी के लिए सुखद होता हैं तो किसी के लिए दुःखद होता तो कोई सिर्फ राधा की तरह इश्क़ करता हैं... इस कहानी की शुरुआत एक यंग लडके सें होती हैं जो जवानी के दौर में अपने सपने साकार करने मुंबई की फ़िल्म इंडस्ट्री में जाता हैं काफ़ी स्ट्रेगल के ब

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इश्क़ में एक और मौत

इश्क़ में एक और मौत

इश्क़ का परिणाम किसी के लिए सुखद होता हैं तो किसी के लिए दुःखद होता तो कोई सिर्फ राधा की तरह इश्क़ करता हैं... इस कहानी की शुरुआत एक यंग लडके सें होती हैं जो जवानी के दौर में अपने सपने साकार करने मुंबई की फ़िल्म इंडस्ट्री में जाता हैं काफ़ी स्ट्रेगल के ब

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अल्फाज़-ए-सफर

अल्फाज़-ए-सफर

ज़िन्दगी के अल्फाज़ कभी खट्टे कभी मीठे तो कभी दर्द का एहसास कराते है और यहीं अल्फाज़ कभी शेर तो कभी शायरियों में अभिव्यक्त हो जाते है हिंदी और उर्दू के समावेश के कुछ 50 कोट्स आपके समक्ष पेश है शब्द in पर

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अल्फाज़-ए-सफर

अल्फाज़-ए-सफर

ज़िन्दगी के अल्फाज़ कभी खट्टे कभी मीठे तो कभी दर्द का एहसास कराते है और यहीं अल्फाज़ कभी शेर तो कभी शायरियों में अभिव्यक्त हो जाते है हिंदी और उर्दू के समावेश के कुछ 50 कोट्स आपके समक्ष पेश है शब्द in पर

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निम्मो

निम्मो

हम भारत के जिस समाज में रहते है उस समाज में अनेकों जाती और धर्म के लोग भी रहते है. और इन धर्मों के अलग अलग रीती रीवाज भी होते है कुछ रीती रीवाज़ कुरीतियों के साए में आज भी जीवित है मेरा इस कहानी के माध्यम सें किसी एक धर्म विशेष को टारगेट करना नहीं है.

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निम्मो

निम्मो

हम भारत के जिस समाज में रहते है उस समाज में अनेकों जाती और धर्म के लोग भी रहते है. और इन धर्मों के अलग अलग रीती रीवाज भी होते है कुछ रीती रीवाज़ कुरीतियों के साए में आज भी जीवित है मेरा इस कहानी के माध्यम सें किसी एक धर्म विशेष को टारगेट करना नहीं है.

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अतीत का अखंड भारत -1

अतीत का अखंड भारत -1

वर्तमान के भारत की मनोदशा को देखते हुए मुझें अतीत के भारत का इतिहास याद आया.. क्या भारत जब भी इतना संमृद्ध था जैसा आज है. तब क्या हमारे भारत की भारतीय संस्कृति और संस्कार भी ऐसे ही थे जो आज है. हम कितने वाकिफ है अतीत के भारत से इन्ही सब बातों को मैंन

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अतीत का अखंड भारत -1

अतीत का अखंड भारत -1

वर्तमान के भारत की मनोदशा को देखते हुए मुझें अतीत के भारत का इतिहास याद आया.. क्या भारत जब भी इतना संमृद्ध था जैसा आज है. तब क्या हमारे भारत की भारतीय संस्कृति और संस्कार भी ऐसे ही थे जो आज है. हम कितने वाकिफ है अतीत के भारत से इन्ही सब बातों को मैंन

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Deepak bundela arymoulik के लेख

लो खां कल्लो बात "हसबेंड" व्यंग

29 जनवरी 2023
0
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हसबेंडखबरों में रोज नया फिजूका पढ़ कर चच्चा रोज की तरह आज भी आ धमके थे. सोचा था आज रविवार यनि छुट्टी का दिन हैं तो थोड़ा आराम से उठा जाए लेकिन ऐसा हर रविवार को भी नहीं हो सकता था. मंजू नें मुझे उठाते हु

लो खां कल्लो बात " हसबेंड " व्यंग

29 जनवरी 2023
0
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हसबेंड खबरों में रोज नया फिजूका पढ़ कर चच्चा रोज की तरह आज भी आ धमके थे. सोचा था आज रविवार यनि छुट्टी का दिन हैं तो थोड़ा आराम से उठा जाए लेकिन ऐसा हर रविवार को भी नहीं हो सकता था. मंजू नें मुझे उठ

आओ चमचागिरी सीखें

13 अगस्त 2022
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"आओ चमचागीरी सीखें"कसम है उन चम्चगीरों की जिन्होने पूरे देश के कर्मठ लोगों को अपना पालतू बना रखा है...बगैर चमचों के बड़ा आदमी इनके बगैर दिशा हीन है....एक चम्मचें ही है जो उन्हे राह दिखाते है....बगैर च

अतीत का अखंड भारत-1

12 अगस्त 2022
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1

मेरे मन की विचलता कही भी ठौर नहीं पा रही थी क्योंकि अक्सर सोशल मिडिया पर धर्म को लेकर अपशब्दों को देख मन कुंठित सा हो चला था इतना ही नहीं जब सोशल मिडिया के आलावा मैंने टीवी पर धर्म को लेकर नुमाश

निम्मो

8 अगस्त 2022
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निम्मो... निम्मो.... अरे कहां मर गई कमब्खत मारी..निम्मो- जी आई अम्मी...और निम्मो अपने सिर को दुपट्टे से ढकते हुए दौड़ती सी बैठक बाले कमरे की तरफ आती है. उनके पास मौलवी को देख उसके कदम ठिठक से जाते है अ

अल्फाज़-ए-सफर

7 अगस्त 2022
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*दोस्तों इस संकलन में 50 शायरियां हैं मुझे उम्मीद हैं आपको पसंद आएंगी और आपके द्वारा सराही जाएंगी*....कृपया मेरे कोट्स और कहानियों को पढ़ने के लिए मेरे ब्लॉग को भी एकबार जरूर पढ़े http://www.arymoulik.

इश्क़ दा वार 1992 (2)

7 अगस्त 2022
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ये इश्क़ का सफर था जो रफ्ता रफ्ता अपनी मंज़िल की तरफ दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा था मनु और अनु के कदम तेजी से एक दूसरे सें मिलने के लिए रोज की तरह आज भी बढ़ चुके थे... नज़रों सें नज़रे मिलने की तय और एक मुकम

इश्क़ दा वार 1992 (1)

7 अगस्त 2022
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वो मोहब्बत की चिंगारी 90 के दशक से सुलगना शुरू हों चुकी थी... मौसम वसंती हो कर अपने शवाब की और बढ़ रहा था.... हर यौवन के दिलों दिमांग में कही ना कही कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था जो जवानी की देहलीज़ पर थे

इश्क़ दा वार 1992 (1)

7 अगस्त 2022
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वो मोहब्बत की चिंगारी 90 के दशक से सुलगना शुरू हों चुकी थी... मौसम वसंती हो कर अपने शवाब की और बढ़ रहा था.... हर यौवन के दिलों दिमांग में कही ना कही कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था जो जवानी की देहलीज़ पर थे

अब लौट चलूं

7 अगस्त 2022
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अब लौट चलूं आज मुझें ऐसा लग रहा था कि मैं सच में आजाद हूं, सारी दुनियां आज पहली बार मुझें नई लग रहीं थी....सब कुछ नया, सुकून से भरा....गर्त के अंधेरे को चीर कर मेरे कदम नए उजाले की ओर अनया

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