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इश्क़ दा वार 1992 (2)

7 अगस्त 2022

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ये इश्क़ का सफर था जो रफ्ता रफ्ता अपनी मंज़िल की तरफ दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा था मनु और अनु के कदम तेजी से एक दूसरे सें मिलने के लिए रोज की तरह आज भी बढ़ चुके थे... नज़रों सें नज़रे मिलने की तय और एक मुकम्मल जगह पर मनु पहले सें ही पहुंच चुका था मनु का मन और दिल बेचैनीं और इंतज़ार की वेसब्री सें भरा हुआ था उसकी नज़रे अनु के आने वाली सडक की तरफ टिकी हुई थी मन की उकलाहट मनु के शरीर में अजीब सी सिरहन को पैदा कर रही थी.... एक एक पल उसे घंटे भर के लग रहे थे... मनु की बेचैनी वक़्त दर वक़्त बढ़ती ही जा रही थी...

वही अनु के तेज़ क़दमों की चाल मंज़िल की कुछ दुरी पर पहुंचते पहुंचते लड़खड़ाने से लगे थे ....अनु के दिल की धड़कने तेज़ होने लगी थी... एक मन कर रहा था कि ना बोलू... फिर ख्याल आता लेकिन कब तक... यही सोचते सोचते अनु अपनी धुन में चली जा रही थी तभी जावेद ने आकर उसे एकदम सें चौका दिया था जावेद की इस हरकत सें अनु एकदम चौक सी गयी थी और संहलते हुए वो जावेद पर विफर कर बोली थी

 ओफ... जावेद... तू अपनी इन हरकतों से कब बाज़ आएगा...?
अनु का चेहरा जावेद की इस हरकत सें तमतमाने लगा था...
इतना गुस्सा क्यों... अनु.. मैंने तो सिर्फ तुझे सरप्राइज किया .
देखो जावेद तुझे पता हैं मुझें ऐसी हरकते बिलकुल भी पसंद नहीं हैं.. मैं पहले ही बोल चुकी हूं तेरे सें मुझें कोई मतलब नहीं....अगर तुम मुझें इस तरह परेशान करोगे तो में तुम्हारी शिकायत प्रिंसिपल मेम से कर दूंगी... अनु ने जावेद को वार्निग देते हुए कहा था..
अनु का जबाब सुनते ही जावेद के चेहरे की कुटिल मुश्कान एकदम स्पाट हो चली थी... और वो अनु सें बिना कुछ कहे तेज़ क़दमों से अनु के पास से चला जाता है... उसे जाता देख अनु राहत की सांस लेती है... और वो मन ही मन बड़ बड़ाने लगती है... कमीना... कुत्ता कही का... हू. ह... जब देखो तब मक्खी की तरह भिनभिनता रहता है...सारा मूड ही खराब कर दिया..
अनु बड़बड़ाते हुए अपने कदम की रफ्तार तेज कर लेती हैं.

यहां मनु की उत्सुकता अनु के इंतज़ार में बढ़ती जा रही थी.. तभी गली के मोड़ की ओट से अनु उसे आते हुए दिखाई देती हैं..और मनु वहीं खड़ा अनु को आते हुए देखता हैं....मंद हवा के झोको से अनु का रूप मनु को और भी आकर्षित और सुन्दर लग रहा था..

अनु ने भी नज़रे चुरा कर मनु को देख ही लिया था दोनों के दिलों दिमाग़ की तरंगे आपस में मिलने लगी थी अनु मनु के पास आते आते उसके हाँथो की अंगुलिया आपस में उलझने सी लगी थी.. उसकी सांसे भी तेज़ हो चली थी... फिर भी अनु ने मनु को नज़रे उठा कर देखा था... रोज़ की तरह दोनों की नज़रे आज भी मिली... लेकिन दोनों की नज़रों में एक अजीब सी कशीश का एहसास था दोनों एक दूसरे को इस तरह देख कर सिहर से उठे थे अनु के कदम अपने आप ही मनु के नज़दीक आते आते ठिठकने से लगे थे आज दोनों ही अपने दिल की बात एक दूसरे से जो कहना चाहते थे... दोनों के दिल की बात आज जो इक दूसरे की ज़ुबान पर आनी थी... दोनों के ही कान मोहब्बत के इजहार को सुनने के लिए तरस रहे थे.... लेकिन तभी जावेद ने मनु कीं पीठ पर एक जोरदार थप्पी मारी थी.....जिसकी आवाज़ से दोनों के प्यार का रंग कफूर हो चला था...  मनु एक दम से चौक जाता हैं मानो किसी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो अनु फिर सें जावेद को देख अंदर ही अंदर गुस्से सें तिलमिला सी जाती हैं लेकिन अपने आपको काबू में करके जावेद को मन ही मन कोसते हुए तेजी से वहां से निकल जाती हैं....

क्या साले... तू इधर खड़ा क्या कर रहा है... मैं कब से तेरा ... वहां खड़ा खड़ा इंतज़ार रहा था....

मनु जावेद की इस हरकत से चिढ़ते हुए बोलता था ...

कमीने... कुत्ते....ये कोई तरीका हैं थोड़ी देर बाद नहीं आ सकता था तूं...?

जावेद मनु से अनजान बनते हुए पूछता हैं... क्यों मैंने अब क्या कर दिया यार...?

क्या यार.. तूने देखा नहीं अनु अभी अभी निकल कर गयी...

वो तो रोज़ ऐसे ही निकल कर जाती है... इसमें नया क्या..? तू तो ऐसे कह रहा है जैसे आज तू उसको प्रपोज करने वाला था...?

हां करने वाला था तुझसे कहा था ना के तू यहां मत आना....यार... तूं भी ना साले तूने सारा काम बिगाड़ कर रख दिया...

चल अब बंद कर ये मोहब्बत के इज़हार का अपना  ये नाटक... इतने दिनों से रोज़ बोलता है आज बोलूंगा... आज बोलूंगा... तू तो बस ऐसे ही सोचते रहना... और उसका बाप उसकी अगले साल तक शादी करा देगा...

अब तूं अपनी ये बकवास बंद कर... तूं भी तो कितने दिनों से यही रट लगा रहा हैं... उसके पापा उसकी शादी करा देंगे..हुई क्या उसकी शादी अभी तक..?

अल्ला पाक... मैं सही बोल रहा हूं... देख मनु तू तो जानता है अनु के पापा और मेरे अब्बा कितने अच्छे दोस्त है.. अभी परसो ही उसके पापा घर आए थे वही बोल रहे थे अगले साल अनु के हाँथ पीले कराने है...

यार तू जब भी आता है कोई ना कोई टेंशन ज़रूर लेकर आता है.. अब अपनी ये बकबास बंद कर...चल प्रेर शुरू होने वाली है...

और मनु स्कूल की दिशा में जानें लगता है...

जावेद वही खड़ा हो कर मन ही मन बुद बुदाता है... साले चाहे जो हो जाए अनु को तो तेरी होने नहीं दूंगा... कसम अल्लाह पाक की... अगर अनु तेरी हो गयी तो तेरी ज़िन्दगी भर गुलामी करूंगा.... बेटा तूं मुझें अभी जानता नहीं हैं मेरा नाम भी जावेद हैं जावेद....

तभी मनु थोड़ा आगे चल कर रुकता है और पलट कर जावेद को देखता है...

अबे कमीने क्या वही खड़ा होकर प्रेर करेगा क्या..?

अबे ढक्कन (मन ही मन में बोलते हुए) ....ओह.... हां...आ रहा हूं यार ..और दौड़ कर जावेद मनु के पास आ जाता हैं और दोनों साथ साथ स्कूल की ओर चलने लगते हैं

मैं सोच रहा था के क्यों ना मैं अनु के पापा सें तुम लोगों के रिश्ते की बात कर लूं..?

यार तू ये बता तू मेरा दोस्त हैं या दुश्मन तूँ चाहता क्या हैं..? तू कुछ ज्यादा नहीं बोल रहा

अरे क्या यार तू भी एकदम ढक्कन का ढक्कन ही रहेगा अबे साले अंकल को बहार का या घर का कुछ भी काम होता हैं तो वो मुझसे ही करवाते हैं तुझे क्या पता..

सब पता हैं लेकिन मैं तेरे हांथ जोड़ता हूं..अभी तू तो ये रिश्ते विस्ते की बात तो रहने ही दें..

और दोनों आपस में बतियाते हुए स्कूल की तरफ चलते चलें जाते हैं 

अनु और मनु दिनों की आज दिल की बात ज़ुबा पर फिर ना आ सकी थी इक दूजे के इज़हार की बात हलक में ही दबी की दबी रह गयी थी पूरे एक साल के बाद इश्क़ की एक देहलीज़ जो पार होनी थी जो ना हो सकी थी... आज सारा खेल जावेद ने बिगाड़ कर रख दिया था इस बात पर अनु जावेद से गुस्सा तो बहुत थी पर मज़बूर थी...

जावेद की हर चाल से अनु वाकिफ़ थी लेकिन मनु जावेद की इन हरकतों से अनभिज्ञ था... मनु जावेद को अपना हितेषी ही समझता था...

अनु... का मन क्लास की पढ़ाई में  लग नहीं  रहा था वो मन ही मन मनु से मिल कर अपनी दिली बात बता देना चाहती थी इस बारे में वो लगातार योजना बनाने के गुंताड़े में मशगूल थी...

वही जावेद अनु के अंतर भाव को भली भांति जान रहा था...वो समझ रहा था अगर दोनों इक हो गए तो उसके अरमानों पर पानी फिर जाएगा...मुश्किल इस बात की भी थी की जावेद अनु का क्लास मेट था और वो उसकी बाजू बाली रो की बेंच पर नजदीक ही बैठा था...और चोरी छिपी नज़रों सें अनु को तड़ता रहता था..

ऐसा नहीं था कि अनु जावेद की मनसा को ना जानती थी वो उसकी हर मनसा से वाकिफ़ थी... क्योंकि जावेद ने कई बार अनु को प्रपोज किया था.... लेकिन अनु ने कभी भी जावेद को घास तक नहीं डाली थी....वो मनु को सच्चा प्यार जो करने लगी थी... लेकिन अब अनु किसी भी तरह की देरी भी नहीं करना चाहती थी क्योंकि उसे डर था कही जावेद उनकी मोहब्बत को तमाशा ना बना दें  वो किसी भी तरह से मनु से बात करके जावेद की सच्चाई से वाकिफ कराना चाहती थी... इन्ही सब बातों के चलते अनु ने मनु से  इज़हार करने का तरीके को भी सोच लिया था....

मनु का भी मन बेचैन था....आज ही के दिन वो दोनों ने एक झलक एक दूसरे को देखा था.. पूरे एक साल के बाद आज इज़हार होना था... लेकिन इसे किस्मत का खेल कहे या किसी की साजिस... इस बात की तह से मनु वाकिफ नहीं था... क्योंकि जावेद की चुलबुली हरकते उसकी हर साजिश पर पर्दा डाल देती थी... जिसे मनु देख नहीं पाता था...
मनु के मन में भी वही अधेड़ धुन चल रही थी.... कि क्यों ना अनु को खत लिखा जाए... लेकिन दिक्कत ये भी तो थी कि खत अनु तक कैसे पहुंचाया जाए... तभी मनु के दिमाग़ की बत्ती जल उठती हैं... क्या यार मैं भी कितना वेबकूफ हूं... ये साला जावेद कब काम आएगा.... जब वो मेरे रिश्ते की बात करने की बात करता हैं तो कमसे कम मेरा लेटर तो अनु को दें ही सकता हैं और मनु का चेहरा ख़ुशी से खिल उठता हैं....
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रचनाएँ
इश्क़ दा वार 1992 (1)
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स्कूल की ज़िन्दगी कितनी अच्छी होती है ना वहीं यदि स्कूल की लाइफ में किसी सें प्यार हो जाए तो क्या बात है.. ज़िन्दगी में कितना कुछ बदल सा जाता है.. ये कहानी 1992 के दशक की कहानी है जिसमे एक ही स्कुल में पढ़ने वाले मनु और अनु की कहानी है कहानी में प्यार के हर प्रकार के रंगों को सजोया गया है. अनु और मनु का प्यार कितना सक्सेस होता है यहीं सब जानने के लिए पढ़ते रहिये इश्क़ दा वार शब्द in पर
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लो खां कल्लो बात " हसबेंड " व्यंग

29 जनवरी 2023
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हसबेंड खबरों में रोज नया फिजूका पढ़ कर चच्चा रोज की तरह आज भी आ धमके थे. सोचा था आज रविवार यनि छुट्टी का दिन हैं तो थोड़ा आराम से उठा जाए लेकिन ऐसा हर रविवार को भी नहीं हो सकता था. मंजू नें मुझे उठ

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