हम भारत के जिस समाज में रहते है उस समाज में अनेकों जाती और धर्म के लोग भी रहते है. और इन धर्मों के अलग अलग रीती रीवाज भी होते है कुछ रीती रीवाज़ कुरीतियों के साए में आज भी जीवित है मेरा इस कहानी के माध्यम सें किसी एक धर्म विशेष को टारगेट करना नहीं है..वरन समाज की कुरीतियों खत्म करना है.. इसी कुरीतीयों का शिकार निम्मो भी हुई जो पति की नाकामियों और नाकारा पन के कारण उसे क्या क्या झेलना पड़ा जो आज भी समाज में यदा कदा ऐसा होता आ रहा है इसी तरह निम्मो के भी अपने अरमान थे अपनी तमान्नये थी उसकी तमन्नाओ को कैसे रोंदा जाता है वो इसी कहानी निम्मो में एक दर्द के रूप में व्यक्त किया है...
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