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दिल्लगी

20 दिसम्बर 2021

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कि दिल नहीं ,आज दिल लगाने का 
दिल की आवाज, दिल तक पहुंचाने का
 कि दिल्लगी आज जमाने को करने दे 
कहीं पर आसमां को धरती से मिलने दे।
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रचनाएँ
🥀🥀 कुछ अनकहे पल 🥀🥀
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कुछ अनकहे से अल्फाज , कुछ शायरियां हैं इस किताब में। कुछ अपनों ने ,कुछ परायों ने सजा रखें हैं हर चेहरे ने कितने नकाब लगा रखे हैं।

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