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स्वीकृति (कहानी आत्मग्लानि की )

स्वीकृति (कहानी आत्मग्लानि की )

यह कहानी है विक्रांत की जो अपना पूरा जीवन मौज-मस्ती के साथ बिना किसी बंधन में बंधे जीना चाहता है । मगर बाद में वो अंजली से प्यार कर बैठता है । उन दोनों का प्यार कुछ ही समय तक एक बेहतरीन प्रेम कहानी की तरह चलता है क्योकि शालिनी के आ जाने के बाद सब बदल

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स्वीकृति (कहानी आत्मग्लानि की )

स्वीकृति (कहानी आत्मग्लानि की )

यह कहानी है विक्रांत की जो अपना पूरा जीवन मौज-मस्ती के साथ बिना किसी बंधन में बंधे जीना चाहता है । मगर बाद में वो अंजली से प्यार कर बैठता है । उन दोनों का प्यार कुछ ही समय तक एक बेहतरीन प्रेम कहानी की तरह चलता है क्योकि शालिनी के आ जाने के बाद सब बदल

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बेड़ियों में इश्क़

बेड़ियों में इश्क़

ये कहानी है उस दौर के एक प्रेमी जोड़े की जब फ़ोन , इंटरनेट जैसी कोई सुविधा नहीं थी । ये वो दौर था जहाँ कागज़ ही अपने दिल का हाल बयान करने का एकमात्र साधन था । बेहरोज़ हॉस्टल से पढाई पूरी कर के अपने घर लौटता है । अचानक उसकी मुलाकात अपने ही इलाके की नाज़ से

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बेड़ियों में इश्क़

बेड़ियों में इश्क़

ये कहानी है उस दौर के एक प्रेमी जोड़े की जब फ़ोन , इंटरनेट जैसी कोई सुविधा नहीं थी । ये वो दौर था जहाँ कागज़ ही अपने दिल का हाल बयान करने का एकमात्र साधन था । बेहरोज़ हॉस्टल से पढाई पूरी कर के अपने घर लौटता है । अचानक उसकी मुलाकात अपने ही इलाके की नाज़ से

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