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माँ सूरज की पहली "किरण" हो तुम... कड़ी धूप में घनी "छाँव" हो तुम... ममता की जीवित "मूरत" हो तुम... आँखों से झलकाती "प्यार" हो तुम... जग में सबसे "प्यारी" हो तुम... प्यार का बह
मैंने सोचा था मैंने सोचा था एक किताब लिखूंगा, जिसमें दर्द बेहिसाब लिखूंगा, बुन कर जिसमें कोई खूबसूरत ख्वाब लिखूंगा कलम पकड़कर हाथों में, मनचाहा हर बात लिखूंगा। अकेला होकर भी किसी का साथ लिख
<p>बहुत पहले की बात है एक शिल्पकार मूर्ति बनाने के लिए जंगल में पत्थर ढूंढने गया। वहाँ उसको एक बहुत