मैंने सोचा था मैंने सोचा था एक किताब लिखूंगा,
जिसमें दर्द बेहिसाब लिखूंगा,
बुन कर जिसमें कोई खूबसूरत ख्वाब लिखूंगा
कलम पकड़कर हाथों में,
मनचाहा हर बात लिखूंगा।
अकेला होकर भी
किसी का साथ लिखूंगा।
मैंने सोचा था मैं एक किताब लिखूंगा।
23 जुलाई 2022
मैंने सोचा था मैंने सोचा था एक किताब लिखूंगा,
जिसमें दर्द बेहिसाब लिखूंगा,
बुन कर जिसमें कोई खूबसूरत ख्वाब लिखूंगा
कलम पकड़कर हाथों में,
मनचाहा हर बात लिखूंगा।
अकेला होकर भी
किसी का साथ लिखूंगा।
मैंने सोचा था मैं एक किताब लिखूंगा।