*हिंदी दोहा बिषय- दृष्टि**1*दिव्य दृष्टि से देखिए, दिखे दिव्य दरबार।दवा, दुआ औ दान से,देव करे उद्धार।।****2*सहनशक्ति बिल्कुल नहीं,कैसे हो उद्धार।।थोड़ा सा भी दुख हुआ,पंहुते देवी द्वार।।****3*प्रक
सत्य दृष्टि संसार में सत्य कोई वस्तु नहीं है सत्य दृष्टि है। देखने का एक ढंग हैं एक निर्मल और निर्दोष ढ़ंग। एक ऐसी आँख जिस पर पूर्वाग्रहों का पर्दा ना हो एक ऐसी आँख जिस पर कोई धुँआ ना हो। एक ऐसी
भागदौड़ भरे जीवन मे अनेक बार ऐसे अवसर अवश्य आते है, जब व्यक्ति स्वयं के व्यक्तित्त्व को न बदलकर, विश्व को बदलने की नाकाम कोशिश करता है । इस विचारधारा वाला छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब या अच्छा-बुरा कोई भी व्यक्ति हो सकता है । यहाँ तक कि, अनेक बार दृढ़-निश्चयी और अच्छा व्यक्ति भी अपने व्यक्तित्त्व को नहीं बदल प